November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में डीएवी डिग्री कॉलेज की प्राचार्य द्वारा शिक्षिका का उत्पीड़न करने का मामला सामने आया है। शिक्षिका का आरोप है कि प्राचार्य उसका मानसिक उत्पीड़न कर रहा है, यही नहीं कॉलेज में अन्य शिक्षकों के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग कर बुलाते हैं। शिक्षिका ने अपनी शिकायत आंतरिक शिकायत कमेटी में भी दर्ज कराई है। शिक्षिका का आरोप है कि घर में पिता की तबीयत खराब होने की सूचना मिलने पर प्राचार्य ने जाने से मना कर दिया बोले कि जब सीएल लोगी तो ही तुम्हें जाने दिया जाएगा। इस पर शिक्षिका ने कहा कि मैं सुबह उस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर कर चुकी हूं तो सीएल कैसे ले लूं, लेकिन प्राचार्य ने जाने से मना कर दिया। इसके बाद सीएल ली और जब तक घर पहुंची तब तक उसके पिता का निधन हो गया था। वहीं, प्राचार्य का कहना है कि अगर किसी टीचर के साथ शख्ती की जाती है तो वह इस तरह का आरोप लगता है। प्राचार्य प्रो. अरुण दीक्षित ने कहा कि यह सभी आरोप निराधार है, जो टीचर समय पर नहीं आता है उस पर सख्ती की जाती है और जिस टीचर पर सख्ती की जाती है वह इस तरह का आरोप लगाने लगता है। शिक्षक कॉलेज में समय पर आती नहीं है और जल्दी निकल भी जाते हैं। इसके बाद छुट्टी भी नहीं भरते हैं, जबकि कॉलेज संचालक में शिक्षकों का सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है। डीएवी कॉलेज की समाज शास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा कुमारी ने बताया कि दयानंद शिक्षण संस्थान में स्वर्गीय नागेंद्र स्वरूप ने मूवमेंट रजिस्टर की एक व्यवस्था की थी। इस व्यवस्था के तहत अगर किसी शिक्षक या कर्मचारी को आकस्मिक काम से जाना पड़ जाए तो वह अपने काम का जिक्र करके इस रजिस्टर में एंट्री करने के बाद जा सकता है, लेकिन विभागाध्यक्ष को जानकारी देनी होगी। डॉ. सीमा का आरोप है कि 12 सितंबर को पिता की तबीयत खराब होने के कारण वह प्राचार्य प्रोफेसर अरुण दीक्षित से मिलने गई तो प्राचार्य ने रजिस्टर देने से मना कर दिया और कहा कि अगर जाना है तो सीएल ले लो जब प्राचार्य नहीं माने तो जबरदस्ती सीएल लेकर वह घर पहुंची लेकिन तब तक उनके पिता का निधन हो गया था। डॉ. सीमा कुमारी ने यह भी आरोप लगाया कि प्राचार्य अरुण दीक्षित अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। चाहे कोई शिक्षक सामने हो या फिर कर्मचारी सभी के सामने वह प्रताड़ित करते हैं। कभी छुट्टी लेने को लेकर तो कभी काम को लेकर जबरन दबाव बनाते हैं। उनका यह भी आरोप है कि कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों को प्राचार्य द्वारा टारगेट किया जा रहा है। 

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