संवाददाता।
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव राजीव शुक्ला के ओर से किया जा रहे नियमों के उल्लंघन की शिकायत बीसीसीआई में दर्ज कराई गई है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव व अध्यक्ष के साथ ही लोकायुक्त को भेजे गए शिकायती पत्र में पूर्व सचिव की ओर से की जा रहे हैं नियमों के उल्लंधधन को विस्तृत रूप से दर्शाया गया है। पत्र में साफ तौर पर यह भी अंकित किया गया है कि उन्होंने राजनीतिक परिवेश और खेल परिवेश में अपनी जन्मतिथि का भी दोहरा मापदंड पेश कर सबको धोखे में रखने का प्रयास किया है।अलीगढ जिला क्रिकेट संघ के प्रदीप सिंह ने बोर्ड के अध्यक्ष रोजर बिन्नी ,सचिव जय शाह के साथ ही लोकायुक्त विनीत सरन को पत्र भेजकर राजीव शुक्ला को बीसीसीआई से अयोग्य घोषित करने की है। प्रदीप सिंह ने यूपीसीए के पूर्व सचिव का साल 2002 से क्रिकेट जगत में जारी सफर का ब्योरा भी पेश कर दिया है।बोर्ड को भेजे गए पत्र के मुताबिक राजीव शुक्ला साल 2002 से (वोटिंग अधिकार के बिना) यूपीसीए के सह-चयनित सदस्य के रूप सक्रिय हैं। जब यूपीसीए को सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत किया गया था।2005 में यूपीसीए के निदेशक बने जब यूपीसीए का एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में विलय हो गया। सितंबर 2022 में केवाईसी का अनुपालन न करने के कारण उन्हें यूपीसीए के निदेशक पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि दो जन्म तिथियों के कारण यानी पैन कार्ड के अनुसार 20 जुलाई 1957 और राज्यसभा रिकॉर्ड के अनुसार 13 सितंबर 1959 वह केवाईसी का अनुपालन करने में असमर्थ थे क्योंकि राजीव शुक्ला डीआईएन को अयोग्य घोषित करने की शिकायत आरओसी को भेजी गई थी। उन्होंने यूपीसीए के निदेशक के रूप में 17 वर्षों तक सेवा की। जो बीसीसीआई के नियम 6(5)(एफ) के तहत तुरंत बीसीसीआई से अयोग्यता को आकर्षित करता है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बीसीसीआई प्रशासकों की समिति ने 26 जुलाई 2019 को अपनी बैठक के मिनटों में स्पष्ट रूप से निर्णय लिया और आदेश दिया।उन्हें सितंबर 2006 से जून 2020 तक एक साथ यूपीसीए का सचिव नियुक्त किया गया (बीसीसीआई के चुनाव अधिकारी द्वारा पुष्टि की गई)। इससे साफ पता चलता है कि वह बीसीसीआई में उपाध्यक्ष का पद नहीं संभाल सकते और उन्हें बीसीसीआई के नियम 6(5)(एफ) का सम्मान करते हुए स्वेच्छा से तुरंत पद छोड़ देना चाहिए या फिर बोर्ड को स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हे बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए । संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक अब राजीव शुक्ला यूपीसीए के साधारण आजीवन सदस्य हैं और किसी पद पर नहीं हैं, बल्कि इसका उपयोग कर रहे हैं। बोर्ड के अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि कृपया उनके पत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए राजीव शुक्ला के विरुद्ध गंभीर कार्रवाई करें।इस मामले में बात करने के लिए संघ के संयुक्त सचिव रियासत अली को फोन किया गया तो उन्होंने बात करने की चेष्टा तक जाहिर नही की।