संवाददाता।
कानपुर। बिल्हौर तहसील में गौशालाओं की हालत दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। शासन द्वारा गोवंश के भरण पोषण की धनराशि में वृद्धि करने के बावजूद न तो गोवंश को भरपेट चारा मिल पा रहा है, और न ही गौशाला में कार्यरत तीमारदारों को समय से वेतन मिल पा रहा है। ककवन विकास खंड की बिहारीपुर गांव में मौजूद गौशाला में वर्तमान में 232 गोवंश मौजूद हैं। उनकी देखभाल के लिए परशुराम, गुड्डू, उस्मान, रामू, पप्पू, गया प्रसाद, सुनील और राजू सहित 8 लोगों की तैनाती है। किंतु गौशाला में एक मात्र तीमारदार परशुराम मौके पर मौजूद मिला। उसने अन्य कर्मचारियों के विषय में कोई जानकारी नहीं दी। परशुराम के द्वारा गौशाला का गेट खोलते ही भूखे प्यासे तमाम गोवंश उसकी तरफ दौड़ पड़े। तीमारदार परशुराम के अनुसार गौशाला में बीते 8 दिनों से भूसा नहीं है। शासन द्वारा अधिकृत भूसा की आपूर्ति कर रही संस्था के द्वारा समय से न तो भूसा भेजा जा रहा है, और न ही संस्था के कर्मचारियों द्वारा फोन कॉल रिसीव की जा रही है। ग्राम प्रधान द्वारा एक ट्राली धान का पुआल मंगाया गया था। उसी में बचा भूसा मिलाकर 8 दिनों से काम चलाया जा रहा है। ग्राम विकास अधिकारी ने भी फील्ड पर होने की बात कहकर मामले को टाल दिया। गौशालाओं में गोवंश की दुर्दशा पर गौशाला संचालकों द्वारा अपने बचाव में हमेशा गोवंश के भरण पोषण के लिए शासन द्वारा मिलने वाली प्रति गोवंश 30 रुपए की धनराशि जरूरत से बहुत कम होने का रोना रोया जाता था। लगातार इस तरह के मामले सामने आने पर शासन द्वारा प्रति गोवंश भरण पोषण की धनराशि 30 से बढ़ाकर 50 रुपए कर देने की बावजूद गौशालाओं में गोवंश की दुर्दशा ज्यों की त्यों बनी हुई है। अभी भी एक सवाल वहीं है कि आधे पेट चारा पाकर तिल तिल मरते गोवंश के इन हालतों का जिम्मेदार कौन है। एक ट्राली धान के पुआल से 232 गोवंश का एक दिन भी पेट भरना मुश्किल है। ऐसे में उतने ही चारे से 8 दिनों तक काम चलाना गोवंश की दुर्दशा बयां करने के लिए काफी है। यह सवाल खड़ा होता है कि गोवंश के भरण पोषण के लिए आने वाला पैसा आखिर कहा जा रहा है। गौशाला में आठ तीमारदारों में से मौके पर मौजूद मिले एक मात्र तीमारदार परशुराम के अनुसार उनको बीते 7 माह से वेतन नहीं मिला है। ऐसे में उनको परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है। खंड विकास अधिकारी के अनुसार भूसा आपूर्ति कर रही संस्था के कर्मचारियों द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है। उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत कराया गया है। गौशालाओं में चारे का प्रबंध किया जा रहा है।