संवाददाता।
कानपुर में दुर्गा पंडालों से मां दुर्गा की विदाई की जा रही है। मान्यता अनुसार ऐसा माना जाता है, की मां दुर्गा अपने मायके से ससुराल के लिए विदा हो रही है। बंगाली रीति-रिवाज से माता दुर्गा की पूजा करने वाले पंडाल में पूजन का अलग ही रिवाज दिखाई दिया। जहां महिलाओं ने विशेष पूजा की और मां दुर्गा को सिंदूर चढ़कर उनकी विदाई की रस्म निभाई। दुर्गा पंडाल में मौजूद महिलाओं और पुरुष की विदाई के दौरान आंखें नम दिखाई दी।शहर के रेलवे ग्राउंड में आयोजित दुर्गा पूजा पंडाल में मां दुर्गा की मूर्ति की विदाई से संबंधित पूजन का आयोजन किया गया। बंगाली परिवारों के द्वारा यहां पर दुर्गा मूर्ति रखकर शारदीय नवरात्रि पर विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है।
दुर्गा पूजन का आयोजन करने वाले जेडी सरकार ने बताया कि पिछले 67 सालों से निरंतर यहां पर शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा का पंडाल सजाया जाता है। शहर भर में रहने वाले बंगाली परिवार के लोग जो यहां से जुड़े हैं, वह इस पंडाल में पहुंचकर 4 दिन मां दुर्गा की उपासना और पूजन करते हैं। मां दुर्गा की विदाई का दिन उनके मायके से ससुराल जाने की विदाई का दिन होता है। इसलिए महिलाएं इस दिन विशेष पूजन करती हैं। मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ती हैं। ढोल नगाड़े और गुलाल के साथ मां दुर्गा को प्रसन्न कर उनकी विदाई की जाती है।
केके मजूमदार ने बताया कि इस दिन भक्तों की आंखें नम हो जाती हैं। क्योंकि मां दुर्गा मायके से ससुराल जाती हैं। बंगाली परिवार में ऐसी मान्यता है। इसलिए बंगाली विशेष रीति-रिवाज के साथ विशेष ध्वनि के साथ बंगाली महिलाएं मां दुर्गा को प्रसन्न करती हैं।