संवाददाता।
कानपुर। नगर में नवरात्रि के अवसर पर देवी मंदिरों में भक्तों की कतार देखी जा रही है। कानपुर के 300 साल से ज्यादा पुराने प्राचीन मंदिर काली माता मंदिर में भक्तों की मान्यता अनोखी है। यहां भक्त ताला लगा कर अपनी मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर उस ताले को खोलकर पूजन व श्रंगार कराते हैं। प्राचीनकाल में स्थापित इस मंदिर को औरंगजेब के समयकाल का बताया जाता है। इसकी देख-रेख गदर के समय से एक बंगाली परिवार कर रहा है । कानपुर के बंगाली मोहाल में स्थित काली माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। भक्त यहां जंजीर में ताला लगाकर माता रानी से अपनी मन्नत मांगते हैं ।जब मन्नत पूरी हो जाती है ,तो ताले को खोल कर पूजन व मंदिर में माता काली का श्रृंगार कराते हैं । मंदिर की देखरेख करने वाली संरक्षक सुप्रिया चटर्जी ने बताया कि यह प्राचीनकाल का मंदिर बताया जाता है ,लोगों से सुनने में मिलता है ,की काली माता का मंदिर औरंगजेब के समय 1658 के बाद यह मंदिर बनाया गया था । मंदिर के पास से ही गंगा नदी बहती थी। उसके बाद हमारा बंगाली परिवार ग़दर के जमाने 1857 के बाद से सेवा कर रहा है । मां काली की बनी मूर्ति यहां अद्भुत है ,इसके मात्र दर्शन से ही कष्ट दूर होते हैं। और मान्यताओं के मुताबिक यहां आकर लोग ताले बांधकर अपनी अर्जी लगाते हैं। सुप्रिया चटर्जी ने बताया कि यह मंदिर एक तांत्रिक महाराज जी का था। हमारे पूर्वज जब यहां आए तो तांत्रिक महाराज जी ने हमारे पूर्वजों से इस मंदिर की देख -रेख करने को कहा और वह चले गए, जिसके बाद कभी वापस नहीं आए ।तब से ग़दर के जमाने से हमारी कई पीढ़ियां इस मंदिर की देख रेख करती चली आ रही हैं। उन्होंने बताया की नवरात्रि पर यहां लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं ,उनमें अलग-अलग शहरों से भी लोग यहां पहुंचते हैं ।आम दिनों में भी यहां मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन यहां मन्नत मांगने वाले भक्ति ताला लगाकर अपनी मन्नत मांगने नवरात्रि के सप्तमी अष्टमी और नवमी के दिन अधिक पहुंचते हैं।