मिशन 3600 करोड़ रुपए का 550 नए प्रोडक्ट, 300 से ज्यादा नई टेक्नोलॉजी,
संवाददाता।
कानपुर। नगर में आज शुक्रवार को आईआईटी कानपुर में तीसरी नेशनल वर्कशॉप ऑन टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन इन साइबर फिजिकल सिस्टम का समापन हुआ। इस समापन मौके पर अलग-अलग जगहों से आए आईआईटी ने विभिन्न तरह के मॉडलों की प्रस्तुति दी। साइबर से निपटने के लिए लोगों को जागरूक होने को कहा। इसके अलावा दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए भी कई मॉडल प्रस्तुत किए गए। साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आने वाले समय में दो देशों के बीच साइबर अटैक की लड़ाई होगी। इसलिए हमको सबसे ज्यादा साइबर सिक्योरिटी सेल की जरूरत है। इस दिशा में भारत अपना काम कर रहा है। हम लोग ऐसे कंप्यूटर बनाने वाले हैं, जिसमें गणना करने की क्षमता बहुत अधिक होगी। आईआईटी कानपुर ने साइबर सिक्योरिटी में कई काम किए हैं। सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर जैसी टेक्नोलॉजी बनाई है। इसके माध्यम से हमको यह पता चलता है कि किस तरह से हैकर साइबर अटैक कर रहे हैं और किस किस जगहों पर कर रहे हैं। सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने बताया कि पूरे देश भर में 25 हब बनाए गए हैं, जिसमें साइबर से संबंधित अलग-अलग काम किया जा रहे हैं। यह मिशन 3600 करोड़ रुपए का है। 2018 में इसकी लांचिंग हुई थी और 2020 से इसमें काम होना शुरू हो गया था। तब से लेकर अभी तक 550 नए प्रोडक्ट, 300 से ज्यादा नई टेक्नोलॉजी, 450 से ज्यादा स्टार्टअप शुरू किए जा चुके हैं। वहीं, 12000 के आसपास ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए गए हैं। यह मिशन आधे स्तर पर पहुंच चुका है और लगभग 300 इंडस्ट्रीज हमसे कनेक्ट भी हुई है। उन्होंने बताया कि यह आइडिया 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का था। उन्हीं के विजन के बाद इस ओर काम होना शुरू हुआ। अब प्राइवेट सेक्टर भी इस ओर इन्वेस्ट कर रहा है। नई-नई तकनीकी डेवलप हो रही है और कई तकनीक पर काम तेजी से चल रहा है, क्योंकि चोर और पुलिस से ज्यादा हैकर बुद्धिमान होते हैं। इसलिए जो भी तकनीकी बनती है, उससे एक कदम आगे वह बढ़ाने की सोचते हैं। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि जो नई टेक्नोलॉजी है। उनसे हम लोग यह पता कर रहे हैं कि कहां पर ज्यादा अटैक हो रहे हैं। किस तरह के अटैक ज्यादा किए जा रहे हैं। अभी तक जो भी काम हम लोगों ने किए हैं। उसे साइबर सिक्योरिटी ऑडिट के माध्यम से पता कर रहे हैं कि क्या-क्या कमजोरी अभी है। अभी तो हम लोग इसी पर बात कर रहे हैं। किसी भी अटैक को समझने के लिए आईआईटी कानपुर की लैब सक्षम है। अगर हम जागरूक हो जाए तो आधे से भी ज्यादा साइबर क्राइम को रोका जा सकता है। डॉ. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि हमें हर चीज की जानकारी रखना बहुत जरूरी है, जब भी कोई आपके खाते में पैसा डालता है तो उसके लिए ओटीपी बताने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कभी किसी को ओटीपी ना बताएं। फोन पर धमकी देकर पैसे की कोई मांग कर रहा हो या पुलिस वाला बनकर बात कर रहा हो तो कभी अनजान व्यक्ति के खाते में पैसे ना डालें। फोन पर परिचित बनकर अगर पैसे की कोई मांग कर रहा है तो पहले उसके पीछे की सच्चाई जान ले फिर उसके खाते में पैसा दे, क्योंकि 70% फ्रॉड यूपीआई के माध्यम से किया जा रहा है। साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड की डॉ. एकता कपूर ने कहा कि टेक्नोलॉजी डेवलप करके हमें मार्केट में जल्द से जल्द लाना है और हमें वह टेक्नोलॉजी लानी है जिससे सोसाइटी को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि वर्कशॉप में हम लोगों ने यही बताया है कि हम जो भी टेक्नोलॉजी लाते हैं। उसके पीछे का कारण समझना बहुत जरूरी है। अगर इंटरनेशनल कोलैबोरेशन हो तो हमें चार तरह की नई चीज सीखने को मिलती है। यह कोलैबोरेशन भारत को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सबसे बेहतर मंच होगा। अगर नई-नई टेक्नोलॉजी मार्केट में आएंगी तो भारत और मजबूत होगा। आज जो वर्कशॉप कानपुर में हुई है। इसको यहां पर लाने का मकसद है कि सभी टेक्नोलॉजी को एक जगह पर लाएं ताकि सभी लोग एक दूसरे की चीजों को समझ सके। सबसे पहले यह वर्कशॉप 2022 में मद्रास आईआईटी में हुई थी। इसके बाद 2023 में दिल्ली आईआईटी में हुई और तीसरी बार यहां पर हो रही है।