• ग्रीनपार्क में बनी विजिटर गैलरी का अस्तित्व संकट में।
• उखड़ी टाइल्सों ने स्मार्ट सिटी परियोजना की साख पर लगाया प्रश्नचिह्न।

संवाददाता
कानपुर। शहर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत पीपीपी मॉडल से विकसित किए गए ग्रीनपार्क की विजिटर गैलरी का अस्तित्व निर्माण की गुणवत्ता और देखरेख की लापरवाही के बीच डगमगाने लगा है। विजिटर गैलरी की संचालक संस्था की लापरवाही का आलम यह है कि उसने वहां पर कराए गए कार्यों पर संजीदगी नहीं दिखाई । मेंटीनेंस के अभाव में जमीन पर बिछाई या लगाई गई टाइल्स पूरी तरह से उखड़ चुकी है। संस्था उसकी सुध भी नहीं ले रही है।
लगभग तीन साल पहले लाखों रुपये की लागत से बनी यह गैलरी आज जर्जर स्थिति में पहुँच चुकी है। गैलरी की फर्श पर लगी टाइल्स बड़े पैमाने पर उखड़ चुकी हैं, जिसे छिपाने के लिए संचालन करने वाली संस्था ने वहां पर लोगों के आने जाने पर रोक भी लगा दी है। जिससे स्मार्ट सिटी परियोजना की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। माना ये भी जा रहा है कि टाइल्स की गुणवत्ता इतनी प्रभावी न हो और इसको बदल ही दिया जाए जिससे संस्था को और अधिक मुनाफा हो सके।
ग्रीनपार्क की विजिटर गैलरी को शहर का एक आधुनिक और आकर्षक स्थल बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। परियोजना के तहत यहां फर्श, दीवारों और सीढ़ियों पर महंगी टाइल्स लगाई गई थीं, ताकि क्षेत्र को सौंदर्यपूर्ण और टिकाऊ बनाया जा सके। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार निर्माण कार्य के कुछ ही महीनों बाद टाइल्स ढीली होने लगी थीं। अब तो स्थिति यह है कि कई स्थानों पर टाइल्स पूरी तरह निकल चुकी हैं, जिससे सतह असमान और फिसलन भरी हो गई है।
ग्रीनपार्क में आने जाने वाले लोगों का कहना है कि विजिटर गैलरी में निर्माण के समय ही मानक सामग्रियों के उपयोग पर सवाल उठाए गए थे। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार इतनी जल्दी जमीन में लगाई गई टाइल्स का उखड़ना उसके निर्माण को जल्दबाजी
में किया गया कार्य प्रतीत होता है जिसके निर्माण कार्य में
गुणवत्ता की अनदेखी की गई। विजिटर गैलरी देखने गए एक शख्स ने बताया कि टाइल्स जमीन से पूरी तरह उखड़ चुकी है पहले तो गेटकीपर गैलरी में जाने नहीं दे रहा था लेकिन किसी तरह बमुश्किल वह भीतर पहुंचा तो पाया कि लाखों रुपए जमीन पर बर्बाद हो चुके हैं।
विजिटर का यह भी कहना है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद से अब तक इसकी ठीक से निगरानी नहीं की गई। बारिश के सीजन में कई बार सीढ़ियों और गैलरी में पानी भरता था, लेकिन ड्रेनेज की उचित व्यवस्था न होने के कारण सीलन बढ़ती गई, जिससे टाइल्स का चिपकाव ढीला होता गया।
टाइल्स उखड़ने की घटना से न केवल ग्रीनपार्क की सुंदरता धूमिल हुई है, बल्कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत किए गए कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर में कई जगहों पर इसी तरह के निर्माण कार्य हाल के वर्षों में हुए हैं, जिनमें सीसी रोड, फुटपाथ और पार्कों की अधोसंरचना शामिल है। इनमें से कई प्रोजेक्ट्स पहले ही टूट-फूट का शिकार हो चुके हैं।
शहरी विकास से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकारी धन का उपयोग पारदर्शिता और तकनीकी मानकों के अनुसार किया जाता, तो दो वर्षों में इस तरह की स्थिति नहीं आती। एक विशेषज्ञ ने कहा कि किसी भी शहरी परियोजना में स्थायित्व और गुणवत्ता सर्वोपरि होती है, लेकिन यहाँ ऐसा लगता है कि कार्य पूरा होते ही उसकी देखभाल से हाथ खींच लिया गया।
ग्रीनपार्क की विजिटर गैलरी देखने गए लोगो ने अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग की हैं। उनका कहना है कि जब सरकारी परियोजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, तो उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
ग्रीनपार्क की विजिटर गैलरी की बिगड़ी हालत ने एक बार फिर शहर में निर्माण कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि प्रशासन केवल मरम्मत तक मामला सीमित रखता है या दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाता है। इस गंभीर मुद्दे पर ग्रीनपार्क की आरएसओ भानु प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इससे दो टर्म पहले निवर्तमान उपनिदेशक पद पर तैनात मुद्रिका पाठक ने यहां पर कार्य करवाया था। कार्यदाई संस्था के अलावा शासन को भी इस मामले से अवगत कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि हो सकता है कि टाइल्स खराब हो गई हो और अच्छा करने के लिए उसे बदला जाए हालांकि अभी ऐसी कोई जानकारी उनके पास आ नहीं पाई है।






