October 15, 2025

• अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक प्राचीन घुडसाल में काम करने को मजबूर।

संवाददाता

कानपुर। अंग्रेजी सेना के लिए नगर की सरजमीं पर पाले जाने वाले घोडों के अस्तबल यानि कि घुडसाल अब कानपुर की तहसील के नाम से प्रचलित है। 

साल 1803 में निर्मित घुडसाल को आजादी के बाद नगर की तहसील का दर्जा पाए भवन की हालत बद से बदतर होती जा रही है। जबकि इस विभाग के स्थापित किए जाने का उद्देश्य ही प्रदेश ओर राज्य सरकार को राजस्व संग्रह के माध्यम से उन्नति प्रदान कराने के लिए किया गया था। हालांकि नगर के इस विभाग ने सालों साल सैकड़ों करोड़ों का राजस्व संग्रह कर राष्ट्र को मजबूती प्रदान करता रहा  लेकिन शासन इस भवन की टपकती छतों पर रिसाव का लेप लगाने में असफल रहा ।  विगत वर्ष प्रदेश सरकार को इस विभाग ने लगभग 50 करोड़ से ऊपर का राजस्व संग्रह कर दिया है परन्तु वर्षों से शासन की अनदेखी के चलते एक सैकड़ा से ऊपर अधिकारियों और कर्मचारियों की जान सांसत में है कि भवन की कोई छत कभी भी उनपर गिर सकती है। 

पूर्व में घुडसाल रहे इस परिसर में घोडे के तबेलों को ही एसडीएम, तहसीलदार,लेखपाल,कानूनगो और अमीनों के कार्यालयों में तब्दील कर दिया गया। घुडसाल जैसे जर्जर भवन के स्थान परिवर्तित के शासनादेश के बाद भी कोई अधिकारी सुध नही ले रहा है। जबकि लेखपाल भवनों के साथ ही कई अन्य कक्ष भी बारिश में जगह-जगह से रिसते और टपकते रहते है।बारिश में रिसते और टपकते कक्ष अपनी बेबसी की कहानी कहते हुए दिखायी पडते हैं। प्रदेश सरकार को हर महीने करोडों रुपए का राजस्व  देने वाले इस विभाग के अधिकारियों ने कई बार शासन से सुधार की मांग की लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी उसकी ओर से अभी तक संज्ञान तक नही लिया जा सका है। ओर शासन के अधिकारियों के कान में जूं तक नही रेंगी जिससे हालत जस की तस बनी हुयी है। 

साल 2022-23 में निवर्तमान एसडीएम अभिनव गोपाल ने जी+3 भवन के प्रस्ताव को शासन के पास भेजा था जिसकी लगभग मंजूरी भी मिल गयी थी।  हालांकि उस आदेश के बाद तहसील के स्थान को परिवर्तित करने का आदेश शासन की ओर से किया गया है। लेकिन अभी तक उसकी नींव डाले जाने का काम भी शुरु नही किया जा सका है। 

उस परिसर में एसडीएम जेसे उच्च स्तर के अधिकारी तो अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्य  को निभाने का दायित्व उठा रहे हैं वहीं द्धितीय से लेकर चतुर्थ श्रेणी स्तर के कर्मचारी भी इससे अछूते नही हैं। लगभग 400 गज में बसे तहसील परिसर में 9 कोर्ट,दो तहसीलदार,एक एसडीएम का कार्यालय स्थापित किए गए हैं जो अपनी बदहाल स्थिति में बारिश के चलते रिसती हुयी छतों से टपकते पानी से अपने कार्य को बखूबी अंजाम तक नही पहुंचा पाते हैं। यही नही उसी परिसर में 7 कानूनगो की तैनाती की जगह है लेकिन पर्याप्त संसाधन न हो पाने से केवल 3 कानूनगो को ही कार्यालय मिल सका है, परिसर में जगह की कमी है जहां टपकते कमरों के चलते सभी कर्मचरियों को बैठने की जगह आवन्टित नही सकी है। 20 कर्मचारियों के स्टाफ समेत उस परिसर में 72 लेखपालों जिसमें से 60 को ही बैठने की जगह मिल सकी है वहीं 60 से 40 अमीन भी टूटे कक्षों में बैठकर अपनी जान जोखि‍म में डालकर कार्य करने को विवश नजर आते हैं। 

एसडीएम से लेकर तहसीलदार तक के कक्षों का दो तीन बार नवीनीकरण के बाद भी उसके हालात नही सुधरे बल्कि और भी बदहाली की ओर अपना  मुंह बाए खडे हो गए हैं। कमरों की स्थिति तो कमोवेश ऐसी है ही लेकिन उससे भी बुरी स्थिति शौचालयों की है जहां दो मिनट भी आदमी खडा नही हो सकता है। हाल ही शौचालय में एक ऐसी ही घटना हुयी जिसमें महिला लेखपाल फिसल कर गिर गयी जिससे उसे खासी चोंटे भी आयी लेकिन किसी प्रकार का सुधार नही किया जा सका है। तहसील में कार्यरत एक लेखपाल ने बताया कि सालों से वह और उनके सहयोगी टपकती और रिसती छतो के नीचे बैठकर काम करने को मजबूर हैं बारिश के दौरान किसी भी पल अप्रिय घटना घटित हो सकती है, शासन और जिला प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए जिससे लोगों की जान जोखिम में जाने से बच सके।

शासन को प्रतिवर्ष करोड़ो रुपए का राजस्व संग्रह करके देने वाले इस कार्यालय की दुर्दशा की अनदेखी अत्यंत सोचनीय है।

शायद शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी किसी अप्रिय घटना होने से पूर्व कोई भी कार्रवाही नहीँ करना चाहते है।

Related News