August 3, 2025

संवाददाता
कानपुर।
पीलीभीत में 5 इंसानों की जान लेने वाली बाघिन अब कानपुर जू में रहेगी। यहां वह 14 दिनों तक बड़े पिंजरे में क्वारन्टीन रहेगी। इस दौरान चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक उसकी निगरानी करेंगे और दिन ब दिन उसके व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को नोट करेंगे।
डॉक्टर ने बताया कि बाघिन को शनिवार और रविवार को खाने में मांस दिया गया। मगर उसने नहीं खाया। बाघिन ने सिर्फ पानी पिया। वह तनाव में है, उसका स्वभाव अभी भी आक्रामक है। बाघिन के पिंजरे के पास से कोई भी गुजरता है तो वह दहाड़ मारते हुए झपटने की कोशिश कर रही है।
बाघिन को गुरुवार की शाम पकड़ा गया था। बाघिन ने 14 और 17 जुलाई के बीच दो किसानों पर हमला कर उनकी जान ले ली थी। इससे पहले 14 मई से 9 जून के बीच तीन लोगों पर हमला करके उनकी जान ले चुकी थी। इस घटना के बाद 10 गांवों में दहशत थी।
कानपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा. नासिर की निगरानी में बाघिन को पीलीभीत से कानपुर चिड़ियाघर लाया गया। उन्होंने बताया मैं और डॉ. नितेश कटियार बाघिन की देखरेख करेंगे। इसके अलावा उसके पास किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। उसे पिंजरे में क्वारन्टीन रखा जाएगा। बाघिन थोड़ी-थोड़ी देर में किसी को भी देखकर गुस्से में आ जाती है। तेज दहाड़ के साथ वह पिंजरे में झपट्टा मारने लगती है।
पीलीभीत जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर न्यूरिया इलाके में डांडिया गांव है। 10 दिनों से लोगों को गांव के आसपास और खेतों में बाघिन दिख रही थी। लोगों ने अंधेरा होने के बाद खेतों को जाना बंद कर दिया था। दिन में भी निकलते थे तो उनके हाथों में डंडा रहता था।
बाघिन के हमलों के बाद ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद डीएम और वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर बाघिन को पकड़ने का आश्वासन दिया था। वन विभाग की 20 से अधिक टीमें उसकी तलाश में जुटी थीं। वन विभाग की टीमें न्यूरिया के 10 गांवों में खोज अभियान चला रही थी। खोज में तीन थर्मल ड्रोन और एक सामान्य ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा था।
बाघिन ने 14 जुलाई को किसान दयाराम पर खेत जाते समय हमला कर उसकी जान ले ली थी। इसके बाद 17 जुलाई को एक ही दिन में 3 घंटे के अंदर तीन हमले किए। इनमें कृष्णा देवी नामक महिला की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हुए थे।
फिर बाघिन को निजामुद्दीन के आम के बाग में देखा गया था। वन विभाग और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची थी। वन विभाग ने बाघिन को पकड़ने के लिए एक खुला पिंजरा लगाया था।
14 मई से लेकर 9 जून तक इस बाघिन ने 3 लोगों की जान ली। 18 मई को हमले के बाद न्यूरिया में 7 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाघिन को पकड़कर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जिला मुख्यालय में रखा गया। इसके बाद इसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में दोबारा छोड़ दिया गया। इसके बाद इस बाघिन ने 9 जून को हमला किया। फिर एक महीने गायब रही।
ग्रामीणों का कहना है कि हमें लगने लगा कि अब वो नहीं लौटेगी, लेकिन 14 जुलाई को वो फिर से न्यूरिया में लौटी। एक किसान को मार डाला। फिर 17 जुलाई को उसने महिला को मार डाला। इस तरह इस बाघिन ने अब तक 5 लोगों की जान ले ली है।
एक वन कर्मचारी ने बताया, ये बाघिन बहुत शर्मीली थी। हम लोग उसको लंबे समय से वॉच कर रहे हैं। बहुत पास से हम लोगों ने इसको देखा है। ये अक्सर सड़क पर निकल आती थी। शांति से अपने रास्ते लौट भी जाती थी। मारना तो दूर ये तो साइकिल की आवाज सुनकर भाग जाती थी। कभी किसी पर हमला नहीं करती थी लेकिन इंसान इसे मारते थे-डराते थे।
ये सड़क पर निकलती तो इसको डंडा लेकर भगाते थे। इस पर पत्थर फेंकते, शोर मचाते थे। ये सब चीजें ऐसे जानवरों को हिंसक बना देती हैं। इनमें बहुत ताकत होती है लेकिन इन्हें इसका एहसास तब तक नहीं होता जब तक ये किसी पर हमला न करें। और जब एक बार इंसान का खून इनके मुंह लग जाता है तो ये बहुत हिंसक हो जाते हैं। हम लोगों ने तो इसे बहुत पास से देखा है लेकिन कभी इसने हम पर हमला नहीं किया।
पीलीभीत के एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हरविंदर मान बताते हैं, मैं इस बाघिन को कई सालों से देख रहा हूं। इसके खूब सारे फोटो-वीडियो मैंने सूट किए हैं। मैंने हमेशा इसको अकेला देखा है। इसके चक्कर में मैं बहुत दूर-दूर तक गया हूं। ये हमेशा से गन्नों के खेत में रही है, इस वजह से मैंने इसको मिठ्ठी नाम दिया था।
मैं इसको इसी नाम से बुलाता था और ये सुनती भी थी। ये पीलीभीत में सेहरामऊ उत्तरी थाना क्षेत्र में गन्ने के खेतों और झाड़ियां के बीच ज्यादा रहती थी। मैंने कभी इसको हिंसक रूप में नहीं देखा। हम लोग इसका वीडियो बनाते थे और बाघिन शांति से बैठी रहती थी। 

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