
संवाददाता
कानपुर। एक बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ सीजेएम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। आरोप है कि बैंक का लोन अदा करने के बावजूद प्रबंधक ने पीड़ित के मकान के दस्तावेज वापस नहीं किए। साथ ही लोन से अतिरिक्त बचा धन भी वापस नहीं किया गया।
अर्मापुर निवासी राघव के मुताबिक उनके बड़े भाई रमेश कुमार ने वर्ष 2004 में शारदा नगर स्थित स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की शाखा से पांच लाख रुपये का हाउसिंग लोन लिया था। लोन के एवज में प्लाट नंबर 18 आराजी संख्या 67 ग्राम बैरी अकबरपुर कछार कल्याणपुर का बैनामा बंधक रखा था।
21 जून 2005 को रमेश की मृत्यु हो गई। रमेश का पांच लाख रुपये का बीमा था। यह पैसा भी खाते में पहुंच गया। जिसके बाद 12 अगस्त 2008 को बैंक ने खाता बंद कर दिया। लोन की पूरी किस्त अदा होने के बाद 38,013 रुपये शेष बचा था जो बैंक ने वापस नहीं किया और न ही मकान का बैनामा लौटाया।
रमेश की पत्नी जगपता देवी ने बैंक से काफी पत्राचार किया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने आदेश किया कि महिला के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर बैंक दस्तावेज देने को बाध्य होगी।
इसके बाद भी बैंक ने कुछ भी नहीं किया। वर्ष 2017 में बैंक एसबीआई में मर्ज हो गई। उधर, जगपता ने सिविल कोर्ट में उत्तराधिकार वाद दाखिल किया, जिसमें 12 मार्च 2024 को उसे उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद भी बैंक मैनेजर अनुराग बाजपेई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। मैनेजर नें रुपये वापस मांगने पर धमकी भी दी।
जिसके बाद उन्होंने बैंक मैनेजर के खिलाफ मुकदमे की अर्जी कोर्ट में दी थी। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।