July 1, 2025

संवाददाता
कानपुर। 
इत्र शरीर महकाता है और सच्चा मित्र जीवन। एक मित्र की कुटिलता के कारण राजा प्रताप भानु को मिले श्राप के फलस्वरूप ही रावण का जन्म हुआ था। ब्रह्मा जी से मिले वरदान के बाद रावण ने चारों ओर अत्याचार शुरू कर दिए। रावण के पापों का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया। किदवई नगर के ब्लॉक में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन आचार्य आशीष राघव द्विवेदी चैतन्य जी ने यह प्रसंग सुनाया।
आचार्य जी ने बताया कि सिर्फ रावण वध ही नहीं राम जन्म के दो और कारण भी थे। नारद जी ने भगवान विष्णु को पत्नी वियोग का श्राप दिया था और विष्णु जी ने शतरूपा को उनके जैसे पुत्र की माता बनने का सौभाग्य देने का वचन दिया था। नारद जी से मिले श्राप को भोगने और अपने वचन को निभाने के लिए विष्णु जी ने राम के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था।
इसके साथ ही उन्होंने रावण के जन्म को भी एक श्राप का कारण बताते हुए प्रसंग सुनाया कि राजा प्रताप भानु ने एक बार ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उनके मित्र के छल के कारण भोजन में मांस परोस दिया गया। जिस कारण ब्राह्मणों ने राजा प्रताप भानु को राक्षस योनि में जन्म लेने का श्राप दिया था। इसी श्राप के चलते रावण का जन्म हुआ और रावण ने अपने अत्याचार की पराकाष्ठा पार कर दी। रावण के अत्याचारों से मनुष्यों-देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए ही श्री राम ने जन्म लिया।
कथा के चौथे दिन भगवान श्रीराम के जन्म की सुंदर प्रस्तुति का मंचन हुआ । प्राची अग्रवाल ने माता कौशल्या के रूप में और नन्ही कुहू सिंह ने भगवान राम के बाल रूप में भक्तों को दर्शन दिए। पंडाल बधाइयों से गूंज उठा। तरह तरह के उपहार न्योछावर किए गए। माताओं, बहनों ने श्रीराम के बाल अवतार के साथ नाच-गाकर खुशियां मनाईं। इसके बाद संगीतमय हनुमान चालीसा का पाठ कथा संचालक राकेश कुमार तिवारी वैदिक व उनकी टीम द्वारा किया गया।
मुख्य यजमान पुष्पा अग्रवाल ने बताया कि कल श्रीराम विवाह और वन गमन की कथा का पाठ और मंचन किया जाएगा। 

कार्यक्रम में राकेश अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, मणि, रिंकी, सक्षम, वैभव, अर्चना गोयल, ममता शर्मा, रिंकी त्रिवेदी मौजूद रहीं।