July 1, 2025

भ्रष्टाचार

सेमी हाईमास्‍ट लाइटें जली भी नहीं और हो गया 31 लाख का भुगतान।

आज़ाद संवाददाता 

कानपुर। उत्‍तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के काले कारनामों की सूची में एक और नया अध्‍याय जुड गया है जहां पैसे कमाने की लालच में भगवान राम की नगरी अयोध्‍या की पवित्र धरती को भी गंदा करने से बाज नही आए। लघु उद्योग निगम के अधिशाषी अभियन्‍ता ने अपने करीबी लोगों के नाम प्रशांत द्विवेदी पुत्र प्रमोद द्विवेदी संयुक्त साझेदारी कंपनी सोलटेक ग्लोबल कम्‍पनी बनाकर और उसका लघु उद्योग निगम में कार्य करने का स्वयं अनुमोदन करते हुऐ रजिस्ट्रेशन मार्केटिंग कार्यों के लिए कर दिया था जिसमें फर्जीवाडा करते हुए टेन्‍डर के जरिए काम दिलाने और पैसे हड़पने में भी कोई गुरेज नही किया गया। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस व्यक्ति के नाम कंपनी का संचालन किया जा रहा है  प्रशांत द्विवेदी उसे पचास हजार रुपये महीने पर रखा गया है। अयोध्‍या में सेमी हाईमास्‍ट लाइटों के लिए निगम की ओर से फर्जी टेन्‍डर के जरिए उस कम्‍पनी को काम सौंप दिया जिसने वहां पर लाइटों से प्रकाश तो नही किया अलबत्ता इक्कतीस लाख रुपए का भुगतान अवश्‍य करवा दिया वह भी नगर में बैठे-बैठे। प्रदेश की तपोभूमि  जनपद आयोध्या  के विभिन्न  स्‍थानाें पर 25/11/24 तक  सेमी हाईमास्ट लाइट लगवाने का टेन्‍डर निकाला गया जिसे अपने कूटरचित दस्तावेज से तैयार करी गई कंपनी को फर्जी टेन्डर के माध्‍यम से कार्य दिलवाया गया। जिसका भुगतान लगभग 31 लाख रुपए 18 दिसम्बर 24  को ही नगर की बंधन बैंक की शाखा 80 फिट रोड से किया गया। जिसमे कार्यरत एक कर्मचारी भी त्रिपाठी का करीबी है सोलटेक ग्लोबल नामक कम्पनी को भुगतान के अलावा 2प्रतिशत की अतिरिक्त जीएसटी  धनराशि भी प्रेषित कर दी गयी थी। निगम की ओर से कम्पनी को भुगतान करने के लिए सिंगल साइनिंग अर्थारिटी के हस्ताक्षर से ही जो अधिशाषी अभियन्‍ता राजू त्रिपाठी ने अपने हाथों से कर उसका भुगतान करवाया था। जबकि नियमतः उसमे एक अन्य अधिकारी के भी हस्ताक्षर होने चाहिए बताते चलें कि लघु उद्योग निगम के मुख्यालय में संविदा कर्मचारी के पद पर नियुक्त कुछ रुपए रोजनदारी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले संविदा कर्मी डिप्लोमाधारी इंजीनियर से नियमों के विपरीत कम समयअवधि में मानकों को ताक पर रखकर अधिशाषी अभियंता बनकर सैकड़ों करोडों की कमायी अर्जित करने वाले एक कर्मचारी की इतनी हैसियत बढ गयी कि उसने प्रदेश के अन्‍य जिलों में होने वाली टेन्‍डर प्रक्रिया में भी अपना हस्‍तक्षेप जारी रखा है। यहां तक कि महोबा के विधायक ने कुछ समय पहले ही स्ट्रीट लाइटों के भ्रष्टाचार में लिप्त राजीव की शिकायत शासन में की थी, जिसकी जांच के साथ साथ उसकी अन्य पूर्व की
जांचे भी अभी तक जारी है। इतना कुछ होने के बावजूद भी पुनः महोबा से सौ करोड़ से अधिक के कार्य पर आधिपत्य बना दिया है जिसमें से 20 प्रतिशत कार्य का वर्क ऑर्डर भी जारी हो गया है। अब छह महीने पहले ही नगर में बैठकर अयोध्‍या में सेमी हाईमास्‍ट लाइटों के टेन्‍डर दिलवाना भी कोई कम काम नही है। वहीं करोड़ों का काम अपने नाम कर पाना उसका रसूखदार होना दर्शाता है।राजीव की काली कमाई का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसने मुंबई जैसे बड़े शहर में करोड़ों का होटल खोल लिया था। और वहीं से ही दुबई जाकर कारोबार की शुरुआत कर दी थी। शौकीन मिज़ाज़ राजीव के पास लग्जरी कारों का भी जखीरा है जिसमें दो बीएमडब्ल्यू यूपी 78 यस डब्लू 1796 और यूपी 78 एच जे 5999 सहित गाड़ियां शामिल है जो सगे संबंधियों के नाम है। अपनी ऊंची रसूख और पैसे के दम पर राजीव अभी भी विभाग में कार्यरत हैं।और सेवानिवृत्त की कगार पर खड़े होकर आगामी दो वर्ष के सेवाकाल की बढ़ोतरी के प्रयासरत है ताकि आगामी दो वर्ष के अंतराल में इसी तरह कार्यदायी संस्था लघु उद्योग में स्वयं की फर्म स्वयं के द्वारा निकाला गया टेंडर स्वयं के द्वारा बिना कार्य किये भुगतान इस प्रकार करोड़ों के घोटाले करते हुए स्वयं को आर्थिक रूप से लाभान्वित कर सके।

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