
आ स. संवाददाता
कानपुर। प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित को चकेरी के एक मामले में सीएमएम कोर्ट ने थोड़ी राहत दी है। चकेरी में दर्ज अपराधिक मामले में चकेरी पुलिस ने कोर्ट से अवनीश दीक्षित की रिमांड मांगी थी । कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस की रिमांड अर्जी खारिज कर दी। इसके अलावा पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के विवेचना के सिद्धांतों के बारे में उन्हें जानकारी देने के साथ ही उसी तरह से विवेचना कराए।
पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित समेत 12 लोगो के खिलाफ दुर्गा हाउसिंग सोसाइटी शिवकटरा निवासी नयनतारा जायसवाल ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि नयनतारा के भाई ने ईको फ्रेंड्स सोसाइटी बनाकर काम शुरू किया था और करोड़ों की चल अचल सम्पत्ति संस्था के नाम पर बना ली थी। उसकी मौत के बाद कुछ लोगों ने संस्था पर कब्जा करने के लिए उसके कागजात चुरा लिए थे। इन आरोपियों को संरक्षण देने, धमकी आदि देने में पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष भी शामिल था।
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले में विवेचना शुरू की। जिसके बाद चकेरी पुलिस ने सीएमएम कोर्ट में अभिरक्षा रिमांड में भेजने की याचना के साथ प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इस प्रार्थना पत्र में विवेचक की तरफ से लिखकर दिया गया है कि प्रकरण की विवेचना प्रारम्भिक अवस्था में है और अभियुक्त प्रस्तुत मामले में नामजद है। उससे पूछताछ करने पर घटना से संबंधित तथ्यों को खुलासा होगा और प्रकरण की विवेचना 24 घण्टे में समाप्त नहीं की जा सकती है।
इस मामले में पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष की तरफ से बचाव पक्ष के वकील ने रिमांड प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि अवनीश दीक्षित के खिलाफ प्रस्तुत प्रकरण में कोई स्पष्ट साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। एफआईआर के मुताबिक आरोपी की कोई संलिप्तता प्रकट नहीं हो रही है। वादिनी के बयान के अतिरिक्त अन्य कोई महत्वपूर्ण सबूत उसके विरूद्ध उपलब्ध नहीं है। अन्य साक्षियों के बयानों में उसकी पहचान प्रमाणित नहीं है। वादिनी झूठा बयान देकर उसे फंसा रही हैं। वह एक वर्ष से जिला कारागार में बंद है। इसलिये उसके द्वारा किसी को कोई गाली गलौज व धमकी देने का कोई प्रश्न ही नहीं है।
सारे पहलूओं को सुनने के बाद सीएमएम कोर्ट ने अपने आदेश में अवनीश दीक्षित के विरूद्ध प्रस्तुत रिमांड प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपरोक्त विवेचना से यह भी प्रकट हो रहा है कि पुलिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) 8 एससीसी 273 में दिये गये निर्देशों का कड़ाई से पालन नही किया जा रहा है। जिस कारण प्रायः न्यायालयों के समक्ष रिमाण्ड के समय कठिनाई उत्पन्न हो रही है।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस आदेश की एक प्रति पुलिस कमिश्नर कानपुर नगर को निर्देश के साथ प्रेषित की जाए कि वे समस्त थानों के विवेचको को अपने स्तर से कड़े दिशा निर्देश जारी करे कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) में दिये गये विधिक सिद्धांतो का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें और उसके बाद किसी अपराधिक प्रकरण में आरोपी की गिरफ्तारी की कार्रवाई करें।