—मानकों के विपरीत चल रही कानपुर की मेट्रो ?
—पूर्व में अन्य जिलों में संचालित मेट्रों करोड़ों के घाटे में।

आ स. संवाददाता
कानपुर। कानपुर नगर में मेट्रो ट्रेन का संचालन मानकों के विपरीत होता दिखायी दे रहा है मेट्रो विभाग किसी भी सरकारी कार्य शैली वाले नियमों का पालन करता नही दिखायी दे रहा है। सूत्र बतातें हैं कि बिना भैतिक सत्यापन के ही अग्निशमन और अन्य विभागों से सरकारी कार्य को जल्दी पूरा कराने का हवाला देते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करवा कर लोगों की जान के साथ खिलवाड करने का काम किया है। यही नही मेट्रो विभाग की ओर से साल 2021 के बाद से भवनों का नवीनीकरण भी नही करवाया गया है। जनसूचना कार्यकर्ता रफ़त महमूद के द्वारा मांगी गई सूचना के आधार पर की मेट्रो रेल लाइन के दोनों ओर नियमानुसार व्यावसायिक और आवासीय भवनों की कितनी दूरी होना चाहिए।जिसके जवाब में केन्द्रीय मेट्रो कारपोरेशन विभाग द्वारा लिखित रूप में यह अवगत कराया गया कि वो दूरी कम से कम 20 मीटर की दोनों ओर होनी चाहिए ताकि ऊपरगामी पटरियों से यदि कभी मेट्रो दुर्घटनाग्रस्त होकर नीचे गिरे तो जान और संपत्ति हानि का बचाव हो सके। परन्तु मेट्रो के कुछ आधिकारियों की अनदेखी के चलते लाखों लोगों की जान सुरक्षा घेरे से बाहर है। मेट्रो कार्य को पूर्ण कराने वाली कार्यदाई संस्था उसे जल्द पूूरा करने की फिराक में नियमों की धज्जियां उड़ाए हुए है। यदि गौर किया जाए तो कानपुर मेट्रों द्वारा संचालित और असंचालित रेल लाइन के दोनों ओर एक नहीं अनेकों जगह 20 मीटर वाले नियमों का पालन होते हुए नहीं दिखाई दे रहा है। जैसे
अत्यधिक व्यस्ततम स्थान में से मेडिकल कॉलेज संस्थान के बगल से मात्र दो फुट की दूरी से गुजर रही है, मोतीझील, रावतपुर चौराहा, गीता नगर क्रॉसिंग ,स्वरूप नगर ,चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय, कानपुर सेंट्रल स्टेशन, जूही ट्रांसपोर्ट नगर, बारादेवी से नौबस्ता चौराहे तक 20 मीटर की दूरी वाले नियम का कहीं भी पालन न करते हुए लाखों जनमानस की जान से खिलवाड़ करने की तैयारी में दिखाई दे रहा है। यदि मेट्रो को आम जन के साधन सुविधा के रूप में देखा जाए तो पूर्व में अन्य जिलों से संचालित गहरे घाटे में ही चल रही है। जनसूचना से प्राप्त जानकारी के मुताबिक लखनऊ और आगरा में मेट्रो करोड़ो के घाटे में चल रही है। इसी प्रकार कानपुर मेट्रो ने अग्निशमन विभाग की ओर से जारी अनापत्ति पत्र तो प्राप्त कर लिया लेकिन बिना भैतिक सत्यापन के। कानपुर मेट्रो विभाग में गुजरात के मोरबी पुल झांसी के मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के लोक बंधु अस्पताल में हुए हादसों का भी हवाला नहीं लिया और जल्दबाजी में स्वयं नियमों को दरकिनार किये हुए है।
यही नही ट्रेन को चलाने के लिएजिन नियमों का पालन करना वह उस पर भी खरा उतरता नही दिखायी देता। चूंकि मेट्रो निर्माण कॉरिडोर के दोनों तरफ 20-20 मीटर की दूरी में नये निर्माण के लिये पीएमआरसीएल से एनओसी लेने का निर्णय मान्य है लेकिन नगर में वह भी देखानही गया और कार्य को संम्पादित कर दिया गया है। इससे इन क्षेत्रों में अधिक गहराई तक पाइलिंग होने वाले भवनों की स्वीकृति में पूरी जांच के बाद ही निर्माण की स्वीकृति दिए जाने का नियम है लेकिन वह भी यहां पर पूरा नही किया जा रहा है।आवश्यक दस्तावेजों के साथ अग्निशमन विभाग की वेबसाइट पर आवेदन किया जाना प्रमुख है लेकिन यहां पर सब जायज है। जैसे कि भवन मानचित्र, स्वामित्व प्रमाण आदि.के सत्यापन:के बाद लेकिन वह पहले ही मिल गया। आवेदन की जांच और सत्यापन अग्निशमन विभाग द्वारा अनापत्ति पत्र जारी किया जाता है।सत्यापन के बाद, विभाग द्वारा अनापत्ति पत्र जारी किया जाता है और उसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है तब कॉपी प्राप्त करवायी जाती है।वेबसाइट पर विशेष रूप से इंगित किया जाता है कि.यह ध्यान दिया जाए कि अनापत्ति पत्र हर साल नवीनीकृत करना आवश्यक है जबकि ऐसा न करने पर या.आवेदन में किसी भी गलती या दस्तावेज की कमी के कारण आवेदन वापस किया जा सकता है।.बिजली के खम्भे भी 6 फिट की दूरी पर होने चाहिए लेकिन वह उतनी दूरी भी नही पार कर पा रही है जिससे सभी नियमों की अवहेलना साफ तौर पर दिखायी दे रही है। कानपुर नगर में मेट्रो ट्रेन का संचालन मानकों के विपरीत किया जा रहा है,सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखा जाए तो अभी 9 किलोमीटर के रूट पर जब गाडी हल्का भी टर्न लेती है तो उस पर बैठे यात्री असहज हो जाते हैं।वहीं दूसरी ओर लेकर जमीन से कानकार्स तल जाने के लिए सीढियां भी एकदम सीधी खडी हैं जिस पर चलते हुए यात्रियों को असहजता महसूसू होती है। विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का गठन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2013 में लखनऊ मेट्रो के निर्माण और संचालन के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में किया गया था। एलएमआरसी के गठन को औपचारिक रूप से जून 2013 में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। एसपीवी को 25 नवंबर 2013 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत शामिल किया गया था , और इसे 24 दिसंबर 2013 को कारोबार शुरू करने का प्रमाण पत्र मिला।2018 में, राज्य में अन्य मेट्रो परियोजनाओं को कवर करने और कार्यान्वित करने के लिए एलएमआरसी का पुनर्गठन किया गया और इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन कर दिया गया।2021 में कानपुर मेट्रो जनता के लिए चालू कर दी गई थी। कानपुर मेट्रो विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक जो आंकड़ा इन्होंने दर्शाया था वह झूठा साबित हुआ। यदि भौतिक सत्यापन किया जाए तो आईआईटी से मोतीझील तक मेट्रो में यात्रा करने वालों की संख्या 600 से 8 00 प्रतिदिन ही मिलेगी।इस बारे में कानपुर मेट्रो के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नही है जबकि कागजों में साफ तौर पर मेट्रो का संचालन मानकों के विपरीत ही है।