
आ स. संवाददाता
कानपुर। सेंटर फॉर एनर्जी रेगुलेशन, आईआईटी कानपुर ने यूके सरकार के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय द्वारा समर्थित पावर सेक्टर रिफॉर्म्स कार्यक्रम के तहत भारत में पावर सेक्टर रिफॉर्म्स के अगले युग को आकार देने पर प्रसार संगोष्ठी का आयोजन किया। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में नियामकों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत के लीडरों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने नियामक उन्नति, बाजार नवाचारों और डेटा-संचालित नीति निर्माण के माध्यम से भारत के बिजली क्षेत्र के भविष्य पर चर्चा की।
संगोष्ठी में पीएसआर कार्यक्रम के तहत गतिविधियों के कुछ प्रमुख परिणामों को साझा किया गया और उनके प्रभाव पर विचार किया गया। कार्यक्रम के तहत गतिविधियों में नियामक अनुसंधान को मजबूत करना, संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाना और देश के भीतर और अपने यूरोपीय समकक्षों के साथ ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना शामिल है। यूके सरकार के समर्थन से, यह पहल भारत के ऊर्जा संक्रमण में योगदान देती है, जिससे अधिक टिकाऊ और इंटेलिजेंट बिजली पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त होगा ।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रहा है और ऊर्जा क्षेत्र के लिए सरकार का मजबूत नीतिगत ढांचा वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में देश की महत्वपूर्ण भूमिका को आगे बढ़ा रहा है। यह ऊर्जा क्रांति पूरे देश में तेजी से फैल रही है और तकनीकी अनुसंधान इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चाहे अंतिम-छोर पर ग्रिड कनेक्टिविटी हो या निर्बाध अक्षय ऊर्जा एकीकरण, उभरते ऊर्जा परिदृश्य को नेविगेट करने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग आवश्यक होगा।
प्रो. अनूप सिंह, सेंटर फॉर एनर्जी रेगुलेशन के संस्थापक और समन्वयक ने सीईआर की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसे पीएसआर चरण के तहत यूके सरकार के समर्थन से प्रबंधन विज्ञान विभाग आईआईटी कानपुर में स्थापित किया गया था। प्रो. सिंह ने पीएसआर द्वितीय कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियों और परिणामों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। पैनल चर्चा के दौरान डेरिवेटिव्स की भूमिका, खासकर कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस और रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट्स आधारित यूनिफाइड आरपीओ कंप्लायंस मैकेनिज्म और रेगुलेटरी इम्पैक्ट असेसमेंट पर प्रो. सिंह द्वारा प्रस्तुत अभिनव विचारों को सभी का समर्थन मिला । विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा डेटा एनालिटिक्स और ज्ञान-आधारित उपकरणों के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया गया।
केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष विष्णु बरुआ और संयुक्त विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. आलोक टंडन ने केंद्रित अनुसंधान के माध्यम से समर्थित अभिनव नियामक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया और इस संदर्भ में सीईआर की भूमिका की सराहना की। आईआईटी कानपुर के अनुसंधान एवं विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने भारत के ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला और इसके लिए आईआईटी कानपुर के योगदान पर प्रकाश डाला।
भारत में ब्रिटिश उच्चायोग की जलवायु और ऊर्जा प्रमुख लॉरा आइलेट ने विद्युत क्षेत्र सुधार कार्यक्रम की उपलब्धियों और पीएसआर दो के तहत हासिल की गई उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने भारत के उभरते विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएसआर कार्यक्रम के समान आगे की पहल की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे कम कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिले। लारा आइलेट ने यूके के ऊर्जा क्षेत्र में हाल की प्रगति का भी उल्लेख किया, जो भारत के स्थायी ऊर्जा समाधानों के संक्रमण के समानांतर है।
संगोष्ठी में प्रतिष्ठित पैनल अध्यक्ष और पैनलिस्ट डॉ. आलोक टंडन,अध्यक्ष, गोवा और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जेईआरसी , अरुण गोयल, पूर्व सदस्य, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग, घनश्याम प्रसाद,अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, आलोक कुमार,पूर्व सचिव, विद्युत मंत्रालय, बी. सी. मलिक,केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, एन जोशी, प्रयास, एस. सी. सक्सेना, ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया, डॉ. एस. के. चटर्जी, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग, रोहित बजाज भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज, मिलिंद देवरे, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, एस के सूनी, पूर्व सीईओ, ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया, अतुल बाली, एनएसजीएम और स्मार्ट मीटरिंग विशेषज्ञ, अभिषेक रंजन, बीएसईएस राजधानी, रश्मि एस नायर,सीईआरसी और डॉ. इशिता गुप्ता, केपीएमजी इंडिया शामिल थे ।