
आ स. संवाददाता
कानपुर। आईआईटी कैंपस में पिछले 65 सालो से रह रहे धोबी परिवारों से मकान खाली कराए जा रहे हैं। उनको बताया गया है कि मकान जर्जर हो चुके हैं। इसकी मरम्मत कराई जानी है। इस पर धोबियों ने विरोध कर दिया है । वहीं उनके समर्थन में आईआईटी के स्टूडेंट भी आगे आ गए है और उन्होंने गुरुवार को आंदोलन छेड़ दिया है ।
आईआईटी कैंपस के अंदर 32 धोबी परिवार रह रहे हैं, जिनके घर संस्थान द्वारा तुड़वा दिए गए हैं। 4 माह पहले इन घरों को खाली करने का नोटिस दिया जा चुका था। आंदोलन करने वाले छात्रों का कहना है कि कैंपस के अंदर अब कपड़े धोने वाली बड़ी-बड़ी वाशिंग मशीन लगाने की तैयारी हैं। इससे सभी धोबी परिवार बेरोजगार हो जाएंगे।
छात्रों ने कहा कि संस्थान ने धोबीघाट को खाली कराने की कार्यवाही शुरू कर दी है। उन्होंने गैस और पानी के कनेक्शन काट दिए हैं और नानकारी के धोबी परिवारों को काम के लिए परिसर में आने से मना कर दिया है। यह संस्थान द्वारा कैंपस के निवासियों का पूरी तरह से उत्पीड़न है।
आईआईटी कानपुर ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि सुरक्षित रूप से सभी मकान खाली कराएं गए हैं। विकास योजना पर काम चल रहा है। संस्थान ने परिसर में स्थित कई जीर्ण-शीर्ण और परित्यक्त इमारतों से लोगों को सुरक्षित तरीके से बाहर किया है।
इन इमारतों का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था और ये इमारतें बहुत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पाई गई थीं और विशेषज्ञों ने इन्हें रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया था।
आईआईटी की यह निष्कासन प्रक्रिया पुलिस अधिकारियों की मदद से कानूनी और प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन करते हुए की गई हैं, जिससे छात्रों को न्यूनतम व्यवधान हो और वहां रहने वालों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।
संस्थान ने अपने बयान में ये भी बताया है कि यहां पर एक आधुनिक लॉन्ड्रोमेट बनाने की योजना है, जिसका उपयोग वे परिसर के समुदाय के कपड़े धोने के लिए कर सकते हैं। उनके लिए इसतरी और अन्य सुविधाएं देते रहने की पेशकश की गई है। ताकि उनकी आजीविका पर कोई असर न पड़े। आधुनिक सुविधाओं में यह बदलाव पानी की खपत की महत्वपूर्ण बचत प्रदान करेगा, जो क्षेत्र में घटते जल स्तर को देखते हुए बहुत ही आवश्यक हो गया है।