April 19, 2025

* हटिया का गंगामेला – रंगों का भैंसा ठेला-इस मेले की अनोखी परंपरा

आज़ाद संवाददाता

कानपुर। नगर में सात दिनों तक मनाया जाने वाला होली का पर्व अपने अनोखे अंदाज हटिया के गंगा मेले के साथ गुरुवार को सम्पन्न हो गया । यूं तो देशभर में होली का महोत्सव धूमधाम से ज्यादातर एक या दो दिन मनाया जाता है, इसके साथ ही कई जगह  होली के पाँचवें दिन रंग पँचमी भी मनाई जाती है, लेकिन कानपुर नगर में अनुराधा नक्षत्र के दिन ही इस पर्व का समापन रंग खेलने की परम्पंरा के साथ हो जाता है। गुरुवार को नगर के मशहूर हटिया बाजार स्थित रज्जन बाबू पार्क से पूर्व की भांति ऐतेहासिक गंगा मेले की शुरुआत हुई, इस दौरान कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह व कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार द्वारा झंडारोहण कर के देश के क्रांतिकारियों के शिलालेख पर पुष्पांजलि अर्पित की गई । इसके बाद नगर के ऐतेहासिक रज्जन बाबू पार्क हटिया से कानपुर वासियों के द्वारा 84वां गंगामेला पर्व धूमधाम शुभारंभ हुआ । ऐसे में रंगों का भैंसा ठेला कानपुरवासियों को रंगों से रंगने निकल पडा और पूरे रास्ते सभी को रंगता गया ।हुरियारों के साथ ऊंट, घोड़े, बुलडोजर, व बैलगाड़ी बने ऐतेहासिक मेले की शान बने और बिरहाना रोड पर सभी ने होली खेली। बताते चले कि कानपुर के ये ऐतेहासिक गंगामेला हर साल की तरह इस साल भी अनुराधा नक्षत्र में आयोजन किया गया। जुलूस में 6 ऊंट, 5 घोड़े, 8 ट्रैक्टर व बुलडोजर के साथ लोडर भी रहा 6 हजार लीटर रंग कानपुरवासियों को सराबोर करने के लिए प्रयोग किया गया। सारी तैयारियों के साथ रंगो के बड़े बड़े ड्रम भैंसा ठेला पर लादकर हटिया के रज्जन बाबू पार्क से निकल कर जनरलगंज बाजार, मनीराम बगिया, मेस्टन रोड, चौक, टोपी बाजार, कोतवालेश्वर मंदिर चौक, चौक सर्राफा, मेस्टन रोड बीच वाला मंदिर, कोतवाली चौराहा, संगमलाल मंदिर, कमला टावर, फीलखाना, बिरहाना रोड, नयागंज चौराहा, शतरंगी मोहाल, लाठी मोहाल, जनरलगंज होते हुए अपने गंतव्य हटिया पहुँचा जहां उसका समापन किया गया।इसके बाद शाम को भव्य बाल मेले का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने झूला झूलने से लेकर अन्य प्रकार का मनोरंजन किया। इसके साथ ही शाम को सरसैया घाट में मेले का आयोजन किया गया, जिसमें जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारी व शहर के सभी जनप्रतिनिधियों ने शिरकत किया। कानपुर के इस ऐतेहासिक गंगा मेला की खासियत रंगों का भैंसा ठेला रहा  जो कि मशहूर हटिया बाजार से यह ठेला निकलता है, जिनमे रंगों से भरी सैकड़ो बाल्टियां, पिचकारियां और ढेर सारी मस्ती होती है। इस दौरान इसके पीछे-पीछे ऊंट, घोड़े, ट्रैक्टर और झूमते-गाते लोग चलते नज़र आए। ऐसे में इस गंगा मेला के दिन सरसैया घाट पर लोगों का एक बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएं सब एक-दूसरे को रंग लगाया हैं। सभी एक-दूसरे को गुलाल लगाकर गले लगते हुए होली की शुभकामनाएं आदान प्रदान की। इस लिए कानपुर का ये गंगामेला अपने आप मे अनोखा कहा जाता है, जहाँ भाईचारे की मिसाल भी एक अनोखे पर्व और अपनत्व का एहसास भी दिला गया है ।

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