
आ स. संवाददाता
कानपुर। यूपीसीए के कई निदेशकों समेत गाजियाबाद के व्यवसायी की ओर से स्टेडियम की जमीन के नाम पर किए गए घोटाले की जांच की मांग देश की वित्तमन्त्री निर्मला सीतारमण से की गयी है।
शिकायतकर्ता उपेन्द्र यादव ने वित्तमन्त्री को भेजे गए शिकायती पत्र में गाजियाबाद के व्यवसायी राकेश मिश्रा एवं यूपीसीए निदेशकों द्वारा स्टे्डियम के नाम पर की गयी वित्तीय अनियमितताओं एवं मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच की मांग दोहरायी है। हालांकि इस शिकायती पत्र में यूपीसीए के दो पूर्व सचिवों के द्वारा किए गए षड्यंत्र की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। क्योकि जितनी भी बातें शिकायतों के रूप में सामने आयी हैं वह केवल और केवल यूपीसीए के आला अधिकारियों की ही जानकारी में है इसके अलावा किसी भी शख्स को पता तक नही है। शिकायतकर्ता उपेन्द्र यादव ने वित्तमन्त्री को बताया है कि यूपीसीए ने गाजियाबाद में एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए करोडों रुपए की जमीन का सौदा किया था जो अभी तक बन नही पाया है। उन्होंने बताया कि एक दशक बीत जाने के बाद भी स्टेडियम का न बन पाना एक गंभीर वित्तीय घोटाला दर्शाता है ।
उन्होंने बताया है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के निदेशक, विशेष रूप से राकेश मिश्रा ने संगठित अपराध के माध्यम से करोड़ों रुपये के गबन और मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया है। यूपीसीए निदेशकों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और राकेश मिश्रा के साथ मिलकर लगभग 80 करोड़ रुपए के भूमि सौदे में घोटाला किया । इस सौदे में अतिरिक्त धनराशि को संगठित अपराध के माध्यम से हड़प लिया गया ।इस वित्तीय गड़बड़ी की गहन फॉरेंसिक जांच आवश्यक है। गाजियाबाद में अवैध बैंक खाता भी खोले जाने का विरोध जताया गया है। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि जब यूपीसीए का आधिकारिक खाता कानपुर में है तो उसके बावजूद, निदेशकों ने पंजाब नेशनल बैंक,गाजियाबाद में एक अवैध एकल-हस्ताक्षर खाता कैसे खोल लिया। यूपीसीए के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार, किसी भी दो प्रभारी हस्ताक्षरकर्ताओं अध्यक्ष-सचिव-कोषाध्यक्ष-और निदेशक के संयुक्त हस्ताक्षर से ही खाता संचालित किया जा सकता है। इस खाते का उपयोग केवल यूपीसीए के धन को निजी स्वार्थों में स्थानांतरित करने के लिए किया गया । सभी संदिग्ध लेन-देन पूरे होने के बाद इस खाते को बंद कर दिया गया । यही नही साल 2015 के बाद से राकेश मिश्रा की संपत्ति में अचानक वृद्धि कैसे हो गयी इस बात की जांच आवश्यक है। इस जमीन के घोटाले के चलते राकेश मिश्रा समेत कई निदेशकों ने अविश्वसनीय रूप से भारी संपत्ति अर्जित की है। उन्होंने कई व्यापारिक उपक्रमों में निवेश किया , जिनमें गाजियाबाद में राधु टायर्स का बडा शो रूम खोलना, जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में क्रिकेट से जुड़े खेल उपकरणों का नया व्यवसाय स्था्पित करने के साथ, दुबई और अन्य स्थानों में अघोषित व्यापारिक गतिविधियाँ शामिल है। वह करोड़ों की लग्ज़री कारों के मालिक हैं, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक संपत्ति का संकेत देती है। जांच की माँग उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अनुरोध किया गया है कि वित्त् मन्त्रालय से जुडे आयकर विभाग की जांच शाखा को निर्देश दिया जाए कि वे गंभीर मामलों की गहन जांच करें।2015 के बाद राकेश मिश्रा के व्यापारिक निवेशों के वित्तीय स्रोत क्या, है यह जांच अत्यंत आवश्यक है ताकि इस बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया जा सके और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके।इस मामले में जब आरोपी से बात की गयी तो उनके सहयोगी ने बताया कि आरोप तो किसी पर भी लगाया जा सकता है। यह तो जांच का विषय है यूपीसीए में किसी पर भी भरोसा नही जताया जा सकता है।
यूपीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि सचिव बनने के लिए कई पदाधिकारियो का नाम सामने आने पर शिकायतों और आरोपों की बाढ सी आ गयी है।