March 10, 2025

दुबई में व्यापार के चलते विभाग में शेख के नाम से करते है सम्बोधित।

आ ज

कानपुर। उ. प्र. लघु उद्योग निगम के मुख्यालय में बीते कुछ ही साल में पूर्व संविदा कर्मचारी के पद पर नियुक्त कुछ रुपए रोजनदारी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले संविदा कर्मी डिप्लोमाधारी इंजीनियर से नियमों के विपरीत अधिशाषी अभियंता बनकर करोडों की कमायी अर्जित करने वाले एक कर्मचारी की इतनी हैसियत बढ गयी कि उसने विदेशों में चावल का निर्यातक होने का तमगा हासिल कर लिया। 

विभागीय सूत्रों का कहना है की खाडी के मुख्य देशों में शामिल दुबई में अपने बेटे के साथ चावल का निर्यात करने वाले शख्स को लघु उद्योग विभाग के कर्मचारी शेख के नाम से सम्बोधित करते हैं जिसे सुनकर वह बहुत ही प्रफुल्लित हो उठता है। बताते चलें कि लघु उद्योग निगम के नगर में स्थापित मुख्यालय में राजीव त्रिपाठी नाम के शख्स ने कुछ साल पूर्व ही संविदा प्रक्रिया के तहत जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनाती पाई थी। लेकिन विभाग के कुछ अधिकारियों की सरपरस्ती और ठेकेदारों की निकटता के चलते उन्होंने जल्द ही अधिशाषी अभियन्ता बनने तक का सफर पूरा कर लिया। उसने घोटाले के माध्यम से पैसे कमाने की राह पकड़ ली, जो अभी तक निरंतर जारी है। इसी साल रिटायर होने के कगार पर बैठे राजीव त्रिपाठी साल 2008-09 में तालाब खुदाई के घोटाले में लिप्त पाए गए थे, जिसकी जांच भी अभी तक जारी है।  लगभग तीन करोड रुपए के घोटाले में राजीव ने तालाब तो खुदवाया नहीं था, बल्कि उसका भुगतान करवा दिया था। 

यही नहीं उनके खिलाफ 2018-19 में मानकों के विपरीत आउटसोर्सिंग में लोगों को भर्ती करने में किए गए घोटाले की जांच भी अनवरत जारी है। काली कमाई करके आगे बढ़े राजीव त्रिपाठी ने शनिवार का दिन जो निगम में अवकाश का दिन होता है उसमें ही टेंडर खोलकर लगभग पांच सौ कर्मचारियों की भर्ती के लिए कम्पनी को ठेका दे दिया था। यही नहीं अभी हाल में ही मार्ग प्रकाश के लिए लगाए जाने वाले पैनल और खम्भो के लिए भी उन्होंने घोटाला कर डाला था। जिसकी अनुमानित राशि भी 50 लाख से ऊपर की बताई जा रही है। उनके खिलाफ प्रदेश की विधानसभा में भी यह सवाल उठाया जा चुका है। महोबा के विधायक ने स्ट्रीट लाइटों के भ्रष्टाचार में लिप्त राजीव की शिकायत शासन में की थी, उसकी भी जांच अभी तक जारी है। अभियंता के ये कुछ मामले है जिनकी जानकारी हो पाई और जांच हो रही सूत्रों का कहना है अगर पूरे इनके पूरे कार्यकाल की जांच हो जाये तो घोटालों का जखीरा है।

राजीव की काली कमाई का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने मुंबई जैसे बड़े शहर में करोड़ों का होटल खोल लिया, और वहीं से ही दुबई जाकर कारोबार की शुरुआत कर दी थी। अपनी ऊंची रसूख और पैसे के दम पर राजीव अभी भी विभाग में कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *