March 10, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर।  इस बार होली के बाजार आत्मनिर्भर भारत के साथ ही चाइनीज पिचकारियों से पटे हुए हैं। ऐसे में बाजार में आकर्षक रंगों व डिजाइन वाली पिचकारियों की खरीददारी भी तेज हो गई है। एक ओर जहां बच्चों को चटकीले रंगों वाली कार्टून, बंदूक के आकार वाली पिचकारियां खूब पसंद आ रही हैं तो बडों को पटाखों वाली पिचकारी पसंद आ रही है, जिन्हे जलाने से फिजा रंगीन हो जाए। खास बात ये है कि पिचकारियां चीन से आयात तो की ही गयी हैं साथ ही देश में भी निर्मित की गई है। ये अलग बात है कि देश किसी पर निर्भर रहने की बजाय स्वयं आकर्षक, सस्ते व मजबूत उत्पादन बनाने पर जोर दे रहा है। 

होली के बाजार में सजी आकर्षक पिचकारियां इसका सबूत दे रही हैं। होली के बाजार में गुलाल उड़ाने वाले पटाखे भी बिक रहे हैं। गोल डिब्बे वाले इन पटाखों के फूटने पर अंदर से गुलाल उडक़र हवा को रंगीन कर देता है। 

नगर की रंगों से भरी बाजारों में धीरे धीरे लोगों पर होली का रंग चढ़ना शुरू हो गया है। शहर के विभिन्न बाजारों पर रंग बिरंगे गुलाल की दुकानें भी लग गयी गई है। कहीं थोक बाजारों में व्यापारी रंग और गुलाल की बोरियां बाहर भेजने की तैयारी कर रहें हैं तो फुटकर रंग और गुलाल के व्यापारी अपनी दुकानों को पूरी तरह से सजाकर बैठें हैं। रंग और पिचकारियों के दुकानों पर विभिन्न प्रकार की पिचकारियां देखने को मिल रही है। लेकिन इस बार शार्ट गन पिचकारी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। जिसकी कीमत बाजार में करीब 320 से 350 रुपये है। जहां पिछले साल बाजार में 110 से 120 रुपये किलो  गुलाल मिल रहा था, वहीं इस बार 140 से 150 रुपये किलों के हिसाब से मिल रहा है। हालांकि शहर में लगी गुलाल के स्टालो के मालिकों का कहना है कि गुलाल स्वदेशी है। जिसे लगाने से त्वचा पर कोई भी विपरीत असर नहीं पड़ता है। वहीं इस बार बाजार में टैंक वाली पिचकारी, पिस्तौल वाली पिचकारी जैसी अनेक पिचकारी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। वहीं पिछले साल जहां पिचकारी दस रुपये से मिलनी शुरू हो जाती थी, वहीं इस बार कीमत दोगुनी हो गई है। होली पर्व पर गुलाल व पिचकारियों का करीब 60 से 70 लाख रुपये तक कारोबार होने की संभावना है। वहीं दुकानदारों का कहना है कि अगर महंगाई पर अंकुश लग जाता तो कारोबार बढ़ने की संभावना रहती। जिससे करीब एक करोड़ के पास पहुंच सकता था। महंगाई भी होली के रंगों में खलल डाल रहा है। पिछले दो साल से बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे, वहीं इस बार होली पर्व पर लगातार महंगाई बढ़ रही है। इसका भी बाजार पर असर देखने को मिल रहा है। 

होली के करीब आते ही त्योहार का उमंग-उत्साह लोगों में बढ़ता जा रहा है। जिस बाजार में दो दिन पूर्व तक ग्राहक नजर नहीं आ रहे थे, वहां अब होली बाजार की बिक्री बढ़नी शुरू हो गई है। इन दुकानों पर बाहुबली, मोटू-पतलू, डोरेमान, छोटा भीम, गन मशीन, टैंक गन आदि रंग बिरंगी पिचकारियों की खरीदारी जमकर हो रही है। 

कारोबारी विमल और रमेश शर्मा ने बताया कि स्पाइडर मैन और वीडियो गेम्स की बंदूक की शक्ल की पिचकारी बच्चे अधिक पसंद कर रहे हैं। वहीं युवाओं को रंगीन गुब्बारे भी खूब भा रहे हैं। बल्कि, इस दौरान उनके अभिभावक भी बच्चों की पसंद, नापसंद का भरपूर ख्याल रख रहे हैं। 

हटिया बाजार के दुकानदार राम जी पटुआ ने बताया कि इस बार डरावनी एवं अन्य प्रकार के मुखौटे की डिमांड भी खूब हो रही है। रंग और गुलाल बेचने वाले राहुल गुप्ता ने बताया कि पिचकारी के दामों में गत वर्ष की तुलना में तकरीबन 15 प्रतिशत की तेजी आई है। 

नगर के प्रतिष्ठित और वैश्य एकता परिषद के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यंक्ष नरेश महेश्वंरी ने कहा है कि बगैर रजामंदी के न डालें किसी पर रंग होली सभी को उमंग एवं उत्साह के साथ मनाना चाहिए। इसी कारण इसे मेल-मिलाप का त्योहार भी कहा गया है। जहां पुरानी वैमनस्यता को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलकर लोग हर्षित भाव से मेल-मिलाप करते हैं। होली ही वह त्योहार है जहां दूर बैठे सगे-सम्बन्धी भी एक-दूसरे से मिलना और साथ-साथ होली की ठिठोली में रंगोत्सव मनाना नहीं भूलते। बल्कि, उन्हें इस पर्व के आने का बेसब्री से इंतजार रहता हैं, पर कुछ परेशानियां भी हैं। बिना रजामंदी के भी कुछ लोग राह चलते लोगों पर रंग उड़ेल देते हैं, जो इसकी मर्यादा को भंग करते दिखता है। साथ ही लोगों को चाहिए कि वे अपने सगे-सम्बन्धियों के साथ भी पानी की जगह सूखे रंग का उपयोग करने करने के लिए प्रेरित करें।