
काल भी तुम और महाकाल भी तुम
लोक भी तुम और त्रिलोक भी तुम,
शिव भी तुम और सत्य भी तुम।
सारा जहां है जिसकी शरण में,
नमन है उन शिव जी के चरण में।
बने उन शिवजी के चरणों की धूल,
आओ मिलकर चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।
काल भी तुम और महाकाल भी तुम
लोक भी तुम और त्रिलोक भी तुम,
शिव भी तुम और सत्य भी तुम।
सारा जहां है जिसकी शरण में,
नमन है उन शिव जी के चरण में।
बने उन शिवजी के चरणों की धूल,
आओ मिलकर चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।