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आ स. संवाददाता
कानपुर। मुस्लिम आबादी में बंद पड़े मंदिरों को सिर्फ सियासत के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। 2 महीने पहले बंद पड़े 8 जीर्णशीर्ण मंदिरों को ढूंढा गया। यहां मूर्तियां खंडित मिली, मंदिर के कुछ हिस्सों पर मुस्लिम आबादी का कब्जा था।
महापौर प्रमिला पांडेय ने दावा किया था कि मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। सफाई होगी, रोज पूजा-पाठ किया जाएगा। क्या वाकई इन मंदिरों के दिन बहुर गए? मंदिरों में पुजारी पहुंच गए, क्या पूजा होने लगी?
महापौर का मंदिर वाला स्टंट पूरी तरह से सियासी था। 61 दिन में इन मंदिरों में एक ईंट तक नहीं लगी। मंदिरों में गंदगी मिली। पूजा नहीं हो रही है। मंदिरों पर ट्रस्ट का ताला मिला। देखरेख करने वाला कोई नहीं था। जिस दिन मंदिर खुले, उसके बाद कोई दोबारा देखने नहीं आया।
कर्नलगंज इलाके में संकरी गलियों में मौजूद 125 साल पुराना शिव मंदिर खुलवाया गया था। हिंदू आबादी ने खुशी मनाई। मंदिर में मिली खंडित मूर्तियों को हटाकर नई मूर्तियां लगाने की बात कही गई थी। महापौर ने कहा था कि मंदिर जल्द नए स्वरूप में दिखेगा। नगर निगम ने मंदिर गेट पर अपना ताला लगाया था।
लेकिन मंदिर में कुछ बदलाव नहीं हुआ। जमीन से लेकर अंदर गर्भगृह तक गंदगी ही गंदगी दिखी। लोगों से जानने की कोशिश की। तब पता चला कि नगर निगम नहीं, यहां किसी ट्रस्ट का ताला पड़ा है। पहले मंदिर काफी बड़ा था, मगर मुस्लिम आबादी के कब्जे जस के तस हैं। कोई अधिकारी दोबारा यहां देखने तक नहीं आया। सामने आया कि सियासी दौरा और बातें हो गई, मगर मंदिर में भगवान नहीं पहुंच सके।
बेकनगंज में 21 दिसंबर, 2024 को महापौर प्रमिला पांडेय ने राम जानकी मंदिर खुलवाया था। मंदिर में सफाई भी हुई। मंदिर का पिछला हिस्सा टूटा हुआ मिला था। 1 बीघे में बने मंदिर के ज्यादातर हिस्से पर लोगों के कब्जे हो चुके थे। इस पूरी जगह को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है। मंदिर के नाम पर सिर्फ अवशेष बचे थे।
मंदिर में मरम्मत के काम नहीं हुए। बाहर से लेकर अंदर तक गंदगी थी। अब यहां कूड़ा नहीं पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि जिस दिन मंदिर में सफाई हुई थी। उसके बाद से यहां दोबारा कोई नहीं आया। सब जस का तस पड़ा है।
बेकनगंज में राधा-कृष्ण और शिव का मंदिर है। मंदिर के सभी हिस्से पूरी तरह सुरक्षित दिखे। अवैध कब्जे हो गए थे। मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग थी। मंदिर में साफ-सफाई हुई थी।
अवैध कब्जे पहले की तरह ही हैं। मंदिर के बगल में ही बिरयानी दुकान है, वह भी पहले की तरह लग रही है। इस मंदिर में भी आज तक पूजा शुरू नहीं हो सकी है।
बेकनगंज बाजार से अंदर जाते हुए करीब 500 मीटर की दूरी पर एक और मंदिर है। इसमें मंदिर का ढांचा सुरक्षित है। यहां भी महापौर प्रमिला पांडेय पहुंची थी। पूरा लाव लश्कर था, हिंदू आबादी के लोग साथ थे, कहा गया था कि मंदिर में देवी-देवताओ की स्थापना होगी। हर रोज पूजा होगी।
मंदिर के बाहर लोगों ने दुकानें सजा रखी हैं। मंदिर के अंदर बकरी बैठी हुई मिली। दोबारा से अस्थाई कब्जा होना शुरू हो गया है। मंदिर के अंदर एक भी मूर्ति नहीं मिली।
मंदिर के पास रहने वाले तनवीर अहमद कहते हैं कि सिर्फ सियासत ही की गई है। पूरे यूपी में सिर्फ सियासत ही तो चल रही है। महापौर आती हैं, माहौल बिगाड़ कर चली जाती हैं। कोई मंदिर खुलेगा ही नहीं। मंदिर में पहले पुजारी भी थे। दंगे के बाद सब आबादी इधर-उधर हो गई। महापौर ने जबरदस्ती मंदिर में लगा ताला तुड़वाया है। ट्रस्ट के लोग दोबारा आए थे, उन्होंने अपना ताला डाल दिया है।