July 1, 2025

आ स. संवाददाता
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में बीते कई सालों से बाहरी क्रिकेटरों को टीम में शामिल करने की प्रथा से सूबे के कई क्रिकेटरों ने नाराजगी जताते हुए दूसरे राज्य संघों पर भरोसा जताते हुए वहां से खेलने के लिए प्रयास किया है। इसमें कुछ खिलाडियों को सफलता भी मिल चुकी है और कुछ खिलाडियों ने दूसरे राज्य संघों से खेलने के लिए आवेदन प्रस्ताव भेज दिया है। ये कहना गलत नही होगा कि प्रदेश संघ से उपेक्षित, यूपी के कई क्रिकेटरों को दूसरे राज्यों में अपनी तरक्की की उम्मीद जग गयी है। वहीं संघ के सर्वेसर्वा बाहरी लोगों को टीम में शामिल करने के लिए कोई कोर कसर नही छोडते दिखायी दे रहे जिससे प्रदेश के प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को टीम में स्थान ही नही मिलता दिखायी दे रहा और प्रतिभा से भरे खिलाडी दूसरे राज्य संघों पर निर्भर हो गए हैं और वहां से खेलते हुए अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं। प्रदेश के ऐसे कई खिलाडी रहे हैं जिन्होंने सूबे के क्रिकेट संघ के रवैये पर अपनी बेबाक राय रखी है जिसमें खिलाडियों की प्रतिभा की पहचान करने में अक्षमता प्रमुखता रही है।  टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने उत्तर प्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम में अपने चयन न किए जाने का ठीकरा सूबे की चयन प्रक्रिया पर फोडा था। संघ के ढिलमुल रवैये से निराश और उपेक्षित हुए फिर अपना आधार बंगाल में स्थानांतरित कर दिया और बाद में 2013 टीम इंडिया में जगह बनाने में सफलता प्राप्त की। प्रदेश के अमरोहा जिले के शमी के बंगाल जाने से पहले ही, उत्तर प्रदेश से नाल्लुक रखने वाले अपने समय के कई अन्य भारतीय क्रिकेटर, जिनमें मनोज प्रभाकर, नरेंद्र हिरवानी, पंकज सिंह, मनोज तिवारी आदि शामिल हैं, विभिन्न दशकों में टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए दिल्ली, प्रदेश, राजस्थान और जैसे अन्य राज्यों से टेस्ट टीम तक पहुंच गए। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और इस घरेलू सत्र में भी उत्तर प्रदेश के एक दर्जन से अधिक क्रिकेटरों ने रेलवे बंगाल, त्रिपुरा आदि अन्य टीमों के लिए खेला, क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश की विभिन्न टीमों में जगह नहीं मिली, जिनमें लड़कियों की टीमें भी शामिल थीं। दिलचस्प बात यह है कि इस सत्र में भी उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएवान में कई बाहरी खिलाड़ियों को शामिल किया है, जिनमें सीनियर पुरुष टीम में नितीश राणा, अभिषेक गोस्वामी और माधव कौशिक तथा जूनियर लड़के और लड़कियों की टीमों में कुछ अन्य खिलाड़ी शामिल हैं।कई उपेक्षित क्रिकेटरों ने पूर्वोत्तर के छोटे राज्य जैसे बंगाल, असम ,त्रिपुरा, नागालैण्डं और मिजोरम से प्रतिनिधित्व  करने में सफलता प्राप्त कर ही ली है। एक प्रशिक्षु गौरव सिंह ने बंगाल की अंडर-19 टीम के लिए खेला, जबकि प्रियांशु श्रीवास्तव बीपीएल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे और यहां तक कि उन्होंने वहां रणजी ट्रॉफी कैंप में भी हिस्सा लिया। बताते चलें कि साल 2022 में, प्रशिक्षुओं में से एक युवा तेज गेंदबाज रवि कुमार ने वेस्टइंडीज में अंडर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और इस घरेलू सत्र में उत्तर प्रदेश के उनके पांच प्रशिक्षुओं ने विभित्र राज्यों के लिए बोर्ड ट्रॉफी मैच खेले। देवरिया की अंकिता सिंह ने लगातार दूसरे सत्र में अंडर-19 स्पर्धा में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया, जबकि विकेटकीपर और बाएं हाथ के रवीन्द्र  भाटी ने रणजी ट्रॉफी खेली है। शिवम गौतम रेलवे, सुहैल खान ओडिशा और दीप्तांशु अरुणाचल प्रदेश के लिए खेल चुके हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएवान से जुडे क्रिकेटर अपने ही कुछ अधिकारियों को मौका न मिलने के लिए दोषी मानते हैं, जो कथित तौर पर मेरठ गैंग’ चलाते हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, “दरअसल, जूनियर क्रिकेट मेरठ गैंग की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई और यही कारण है कि यहां के क्रिकेटर दूसरे राज्यों में पलायन कर को मजबूर हैं जिन्हे रोकने की जिम्मेदारी किसी न किसी को तो उठानी ही पडेगी।

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