
आ स. संवाददाता
कानपुर। जिला अस्पताल उर्सला में जर्जर भवनों को गिराए जाने के सरकार की तरफ से सख्त आदेश है, लेकिन यहां पर अवैध तरीके से रहे है वार्ड बॉय अजीत सिंह जबरन कब्जा किए हुए है। अजीत की तैनाती कानपुर मेडिकल कॉलेज के बाल रोग अस्पताल में है, लेकिन वह यहां पर पिछले 40 सालों से रहने का दावा करते हुए भवन खाली नहीं कर रहा है।
उर्सला अस्पताल में रहने वाले अजीत सिंह के पिता अवधेश सिंह कानपुर के मुरारी लाल अस्पताल में कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत थे। 25 फरवरी 2002 को अवधेश का निधन हो गया था। इसके बाद उनकी जगह पर बेटे अजीत सिंह को कानपुर मेडिकल कॉलेज में मृतक आश्रित की जगह पर नौकरी मिल गई थी, लेकिन अजीत ने कानपुर जिला अस्पताल उर्सला के भवन को खाली नहीं किया था।
जब अजीत को भवन खाली करने की नोटिस दी गई तो उसने कोर्ट का सहारा ले लिया। कोर्ट में उसने दावा किया है कि मैं पिछले 40 वर्ष से इस मकान में रह रहा हूं। मेरे पिता और दादा जी जिला अस्पताल के कर्मचारी थे, लेकिन उर्सला अस्पातल के प्रबंध तंत्र का कहना है कि इस अस्पताल में अजीत के परिवार का कोई भी सदस्य कर्मचारी नहीं रहा है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज में कार्यरत होने के नाते उसे वहां से आवास भत्ता भी मिलता है। इसके बावजूद अजीत सरकारी भवन में कब्जा किए है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने अजीत को नोटिस जारी करते हुए तत्काल भवन को खाली करने के निर्देश भी दिए है, लेकिन इसके बावजूद वह भवन खाली नहीं कर रहा है।
उर्सला में बने 76 मकान ऐसे थे, जिसमें लोगों ने कब्जा कर रखा था। ये कब्जा करने वाले कोई बाहरी नहीं बल्कि परिसर में काम करने वाले लोग ही थे, जोकि पहले अस्पताल में काम करते थे। उस दौरान उन्हें रहने के लिए जगह दी गई थी। अब ये भवन जर्जर हो चुके है। इसे ध्वस्त करने के सरकारी आदेश है। इसके आदेश के कारण सभी भवन को खाली करा लिया गया, लेकिन अजीत सिंह ने अभी अपना वाला हिस्सा खाली नहीं किया है।
सरकारी भवन को खाली न करना पड़े इसके लिए अजीत ने कई जनप्रतिनिधियों के पास भी दौड़ लगाई। लेकिन आदेश सरकार की तरफ से आने के कारण किसी ने साथ नहीं दिया। इसके बाद अजीत ने कोर्ट का सहारा ले लिया।
इस भवन को खाली करने के लिए 2017 से नोटिस दी जा रही है, लेकिन कब्जेदार कोई न कोई पेंच फंसा कर भवन को खाली नहीं कर रहे थे। हालांकि अब सभी ने भवन को खाली कर दिया है, बस अजीत सिंह अभी भी वहां पर जबरन रह रहा हैं।