आ. सं.
कानपुर। महाकुंभ के दौरान भी गंगा में नाले गिर रहे हैं। प्रशासन और जल निगम के अधिकारी 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। इसके बाद भी टैप नाले गंगा में गिर रहे हैं। इन नालों के जरिये गंगा में प्रदूषित पानी पहुंच रहा है।
परमट घाट स्थित परमट नाले को टैप कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद इस नाले से प्रदूषित पानी गंगा में जा रहा है। नाले के आउटलेट पर बड़ी मात्रा में गंदगी भी व्याप्त है। नाले के मुहाने को पत्थर से बंद किया गया है। लेकिन अब भी इस नाले से गंगा में प्रदूषित पानी जा रहा है।
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने भी रविवार को सीसामऊ नाले के निरीक्षण के दौरान गंगा की तरफ प्रदूषित पानी जाते हुए मिला था। इस पर डीएम ने कड़ी नाराजगी भी अधिकारियों से व्यक्त की थी। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि महाकुंभ के दौरान प्रदूषित पानी की एक भी बूंद गंगा में नहीं जानी चाहिए।
महाकुंभ में पहले स्नान से 4 दिनों पहले ही शहर की टेनरियों को बंद कर दिया गया था। इस दौरान एसटीपी पहुंचने वाले प्रदूषित पानी में सुधार के साथ ही ट्रीटेड पानी में भी काफी सुधार हुआ था। वहीं टेनरियों के बंद होने से पानी में सॉलिड टीएसएस अर्थात बड़े पार्टिकल की मात्रा भी कम हुई है।
कुंभ से पहले जब टेनरी खुली हुई थी गंगाजल में टीएसएस की मात्रा 560 तक थी, जो टेनरी बंदी के बाद 12 जनवरी तक घटकर 280 ही रह गई थी।
जाजमऊ प्लांट का रखरखाव कर रही केआरएमपीएल कंपनी के मुताबिक टेनरी बंदी से गंगाजल के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है ।