आ. सं.
कानपुर। ठंड के मौसम में केवल वायरल के मरीजों को ही दिक्कत नहीं हो रही है, बल्कि आंखों के भी मरीज बढ़ गए है। इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में आंखों के करीब 15 से 20 प्रतिशत तक मरीजों की बढ़ोतरी देखी गई है।
इसमें कुछ मरीज कंजंक्टिवाइटिस के है तो कुछ मरीजों की आंखों का पानी सूख जाने की शिकायत है। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी के कारण हवाएं काफी ठंडी चल रही है। इसका असर आंखों में पड़ रहा है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग की डॉ. पारुल सिंह ने बताया कि वायरल कंजंक्टिवायरस की समस्या थोड़े लंबे समय तक रहती है। इसको ठीक होने में लगभग 10 से 15 दिन का समय लग जाता है। इन दिनों इससे पीड़ित हर ओपीडी में आ रहे है।
डॉ. पारुल सिंह ने बताया कि इन दिनों ओपीडी में 30 प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें आंखों में नमी न होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे कारण है कि इन दिनों जो सर्द हवा चल रही है, उससे ये समस्या आ रही है।
इसके अलावा जिन घरों में ब्लोअर व हीटर का प्रयोग अधिक किया जा रहा है, उन घरों के लोगों में भी ये समस्या हो रही है। हर ओपीडी में 10 से 15 प्रतिशत इस तरह के मरीज देखने को मिल रहे हैं।
डॉ. पारुल ने बताया, यह दिक्कत हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है। ध्यान रखें कि बंद कमरे में हीटर, ब्लोअर या अंगीठी का प्रयोग बिल्कुल न करें। इसके अलावा पूरे दिन ब्लोअर या हीटर न चलाएं, क्योंकि जब कमरे के अंदर ब्लोअर या हीटर चलता है, तो वहां पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में आंखों के सूजन अलावा अन्य लक्षण भी दिखते हैं।
आंखों के लिए ब्लोअर और हीटर ही नुकसानदायक नहीं है, आग भी नुकसानदायक है। यदि आप ज्यादा आग के संपर्क में रहते हैं, अथवा दिन भर आग के सामने बैठकर हाथ पैर सेकते है, तो इससे भी आंखों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
जो लोग हीटर के संपर्क में रहते हैं और मोबाइल का यूज अधिक समय तक कर रहे हैं, तो उन लोगों के अंदर यह समस्या और भी ज्यादा है। ओपीडी में आने वाले लगभग 7 से 8 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जो ब्लोअर के संपर्क में भी रहते थे, और मोबाइल का प्रयोग भी अधिक करते थे।
उन मरीजों की आंखों में ज्यादा दिक्कत देखने को मिली है, क्योंकि जब आपकी आंखों में नमी नहीं रहती है तो ऐसे में मोबाइल या लैपटॉप पर काम करते समय आंखों में अधिक जोर पड़ता है।