आ. सं.
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कानपुर। इस बार मौसम को देखते हुए आलू की फसल में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ.अजय कुमार सिंह ने एक एडवाइजरी जारी की है।
वैज्ञानिक का कहना है कि मौसम के आधार पर जनपद में आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग लगने की प्रबल संभावना है।
डॉ. सिंह ने बताया कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में आलू की फसल उगाई जाती है। यहां का आलू सब्जी एवं चिप्स आदि के लिए प्रयोग होता है। यहां पर यदि यह बीमारी आलू की फसल में आई, तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जिन क्षेत्रों में आलू की फसल में अभी झुलसा रोग नहीं आया है, वहां पर पहले ही मेंकोजेब, प्रोपीनेजब, कलोरोथेलोनील दवा का .25 प्रतिशत प्रति हजार लीटर की दर से छिड़काव तुरंत करें।
इसके अलावा जिन क्षेत्रों में ये बीमारी आलू में लग चुकी है, उनमें साइमोक्सेनिल, मेंकोजेब या फिनेमिडोन मैंकोजेब दवा का 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। उन्होंने सलाह दी कि दवा के घोल में स्टिकर अवश्य डालें। इससे दवा पत्तियों पर चिपक जाएगी ।
उन्होंने किसानों से कहा है कि वह इस प्रक्रिया को 10 दिन में फिर से दोहरा सकते हैं।
डॉ. सिंह ने किसानों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वह फसलों में जरूरत से अधिक कीटनाशक का उपयोग न करें।