February 5, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
  एक अस्पताल में तीन माह के बच्चे के इलाज में खुली लूट की गई। बच्चे के पिता ने यह भी आरोप था कि बच्चे को जबरदस्ती अस्पताल में भर्ती रखा गया जबकि वो पूरी तरह से ठीक था। इस लूट को लेकर पिता ने नजीराबाद थाने में तहरीर दी है। 

लेकिन जिस डाक्टर पर आरोप लगाया गया, उनका कहना था कि बच्चे को निमोनिया था। इस कारण उसका इलाज किया जा रहा था, परिजनों का लगाया जा रहा  आरोप निराधार है।
गुरहाई मोहाल औरैया निवासी मोहित बाजपेई कानपुर में अपने तीन माह के बच्चे का इलाज कराने लाए थे। मोहित के मुताबिक बच्चे को हल्की फुल्की खांसी थी। वो बच्चे को लेकर लाजपत नगर स्थित एक अस्पताल पहुंचे। जहां पर बच्चों के डा. सीएस गांधी की निगरानी में बच्चे का  इलाज शुरू हुआ। मोहित के मुताबिक बच्चे को देखते ही डाक्टर ने उसे आईसीयू में एडमिट कर दिया।
मोहित के मुताबिक अगले दिन डाक्टर ने उसे आईसीयू से निकालकर जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया। यहां पर छह जनवरी तक बच्चे का इलाज चला। छह जनवरी को डाक्टर ने जब उसे देखा तो बोले बच्चे की हालत ठीक नहीं है। जबकि उसकी हालत बिल्कुल ठीक थी। उसे फिर से आईसीयू में भर्ती कराने के लिए कहा।
मोहित के मुताबिक उन्हें तब शंका हुई तो उन्होंने बच्चे को डिस्चार्ज कराने के लिए कहा। तब हॉस्पिटल की तरफ से उन्हें दस हजार रुपए देने को कहा गया। काफी बहस होने के बाद उन्होंने एक हजार रुपए जमा कराए। जब मोहित ने अस्पताल से बिल मांगा तो उन्हे बिल देने से मना कर दिया गया।
मोहित ने बताया कि बच्चे को डिस्चार्ज कराने के बाद वो दूसरे डाक्टर के यहां पहुंचे। दूसरे डाक्टर ने बच्चे को देखते हुए कहा कि यह ठीक है इसे कहीं भी भर्ती कराने की जरुरत नहीं है । मोहित के मुताबिक इसके बाद वो दोबारा अस्पताल पहुंचे, और फिर से बिल की मांग की। इस बार डा. सीएस गांधी के लोगों ने उन्हें धमकी देकर अस्पताल से भगा दिया।
इस मामले में जब डा. सीएस गांधी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उस बच्चे को निमोनिया हुआ था। मैं डाक्टर हूं, और यह जानता हूं कि कब बच्चे की हालत ठीक है या नहीं। अगर मैं लापरवाही करता तो अभिभावक यह कहते कि इलाज में लापरवाही की गई है। अब जब मैं ठीक से देख रहा था, तब भी न जाने उन्हें किस बात की नाराजगी है। जो भी आरोप लगाए गए हैं, वो निराधार है।