December 27, 2024

आ स. संवाददाता 

कनपुर। अगर शहर में कोई अपराधिक घटना हुई जो पुलिस के लिए वो चुनौती बनी तो ऐसी घटनाएं ये लोग चंद मिनटों में खोल देते हैं। कैसे भी अपराधी नेक्सन, सीमा, यामिनी और जिम्मी की नजरों से बच नहीं सकते हैं।  कानपुर पुलिस इन पर प्रतिमाह करीब 60 हजार रुपए भी खर्च करती है।

नेक्सन, सीमा, यामिनी और जिम्मी ये सभी पुलिस के खोजी कुत्ते हैं। जो कि घटना स्थल पर अपराधी का सुराग लगाने में पुलिस की अहम मदद करते हैं।
सीमा और यामिनी दोनों को सीमा सुरक्षा बल के ट्रेनिंग सेंटर, टेकनपुर मध्य प्रदेश में प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा नेक्सन और जिम्मी को भारत तिब्बत सीमा पुलिस, पंचकुला हरियाणा में प्रशिक्षण दिया गया है। नेक्सन, सीमा और जिम्मी डाबरमैन नस्ल के है। इसके अलावा यामिनी जर्मनशेफर्ड नस्ल है।
नेक्सन, यामिनी और सीमा एक ट्रैकर  है। ये अपराधी की चीजों को सूंघकर उनका पीछा कर लेते है। इसके अलावा जिम्मी नार्कोटिक्स है। इसके अंदर पादक पदार्थ सूंघने की क्षमता काफी है, जोकि दूर से सूंघकर क्रिमिनल तक पहुंच जाती है। स्नैपर और नार्कोटिक्स की ट्रेनिंग 6 माह की होती है। वहीं, ट्रैकर की ट्रेनिंग 9 माह तक चलती है।
इन सभी में सबसे अनुभवी यामिनी (12) ने कई बड़े आपराधिक मामलों में पुलिस की मदद की है। इसके बाद सीमा (10), नेक्सन (6), जिम्मी (5) है। इन लोगों ने मिलकर करीब एक दर्जन से भी अधिक घटनाएं खोली है।
इन खोजी कुत्तो का रखरखाव करने वाले हेड कॉन्स्टेबल अरुणेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इन सब को रोज प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा ये सभी रोजाना एक घंटे योगा भी करते है। शहर के अलग-अलग जगहों पर ले जाकर उनको ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है।
खोजी कुत्ता जब कही कोई अपराधिक घटना हो जाती है, तो इनको वहां ले जाया जाता है। इसके बाद इन्हे अपराधी के हाथों के निशान व पैर के निशानो को सुंघाते है। फिर ये लोग उसी के आधार पर अपराधी तक पहुंच जाते हैं।
इसके अलावा यदि अपराधी अपने साथ लाई हुई कोई चीज छोड़ जाता है तो उसे भी सूंघते हुए ये उसके पीछे  पहुंच जाते है।
ये खोजी कुत्ते सुबह 5:30 से 6:30 बजे तक टहलते है। इसके बाद सुबह 7 से 8 बजे तक इन लोगों को योगा कराया जाता है। योगा करने के बाद जब वापस अपने कमरे में आते है तो इन्हें 600 एमएल दूध, दो अंडे और 475 ग्राम दलिया दी जाती है। इसके बाद शाम को 600 ग्राम बकरे का मीट, दो अंडे, 475 ग्राम दलिया या फिर इसकी जगह पर रोटी देते हैं। एक कुत्ते पर करीब 10 से 12 हजार का खर्च प्रति माह आता है। पूरे साल में 50 से 60 हजार का खर्च इन पर होता है।
इनके ट्रेनर हेड कॉन्स्टेबल अरुणेश कुमार बताते है कि यदि कही पर कोई क्राइम की घटना घटती है, जैसे कि किसी के घर में चोरी हुई तो वहा किसी भी सामान को, अलमारी को या बैग को टच न करें। सीधे पुलिस को सूचना दें। यदि आपने टच कर लिया तो आपकी महक उसमें आ जाएगी और फिर जो असली अपराधी होगा उस तक खोजी कुत्ते को पहुंचने में दिक्कत होगी। इसी तरह यदि कोई मर्डर हो जाता है तो वहा पर भी कोई न जाए।