आ स. संवाददाता
कानपुर। जिला अस्पताल उर्सला में कब्जेदारों की दबंगई हावी है। कब्जेदार खुलेआम चोरी की बिजली प्रयोग कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन का सहयोग न मिलने के कारण अस्पताल प्रशासन मजबूरी में पीछे हट जाता है। ऐसे में कब्जेदारों के हौसले इतने बुलंद है कि वह कभी भी किसी भी डॉक्टर या कर्मचारी को पीटने से डरते नहीं है।
जब उर्सला अस्पताल के अंदर कब्जा करने वालों के घर खाली कराने की बात आती है, तो वह खुद को गरीब और असहाय बताते हैं। जबकि उनके घर में सभी सुविधाएं उपलब्ध है। यहां पर कूलर, पंखा, एसी, एलसीडी, बाइक तक इन लोगों के पास है।
इन लोगों ने अपने घर के बाहर गाय के चट्टे तक बना रखें है। अस्पताल परिसर इसके कारण गंदगी का अंबार बना रहता है। वहां रहने वाले लोगों को आए दिन ऐसी गंदगी का सामना करना पड़ता है। इसके कारण वहां रहने वाले लोगों पर गंभीर बीमारी का खतरा भी मंडराता रहता है।
उर्सला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि कई बार इन लोगों के घरों के बिजली के तार काटे गए, तो इन लोगों ने डॉक्टरों पर ही हमला बोल दिया। डॉक्टरों ने मौके से भागकर किसी तरह से अपनी जान बचाई।
सूत्रों की माने तो यहां पर कुछ सफेद पोश लोगों का इन लोगों के ऊपर हाथ है, जब भी कभी कार्रवाई आगे बढी, तो सफेद पोश ने आगे आकर उनका बचाव किया है।
उर्सला में 76 मकान ऐसे है, जिसमें लोगों ने कब्जा कर रखा है। ये कब्जा करने वाले कोई बाहरी नहीं बल्कि परिसर में काम करने वाले लोग ही है, जोकि पहले अस्पताल में काम करते थे। उस दौरान उन्हें रहने के लिए जगह दी गई थी।
इसके बाद धीरे-धीरे उनका परिवार यहां आकर बस गया और फिर सेवानिवृत्त होने के बाद वहां पर कब्जा करके रहने लगे। अब यहां पर अंदर ही अंदर एक ऐसी टीम बनकर तैयार हो गई है जो कोई भी कार्रवाई होने पर एक हो जाती है, और हंगामा करने लगती हैं।