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आ स. संवाददाता
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में चल रहे छह दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण का समापन हुआ।
इस प्रशिक्षण के समापन अवसर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पीके उपाध्याय ने सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मशरूम के पोषणीय महत्व के साथ ही मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है। जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
इसके बाद अधिष्ठाता लखीमपुर खीरी डॉ. लोकेंद्र सिंह ने कहा कि मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग प्रतिरोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। उन्होंने कहा कि मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है।
नोडल अधिकारी डॉ. एस के विश्वास ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती अपना कर आत्मनिर्भर बने। मशरूम की खेती महिलाओ, बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए बेरोजगारी दूर करने के लिए उत्तम साधन है।
डॉ. एसके विश्वास ने छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हुए विभिन्न व्याख्यानो एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने बताया कि इस प्रशिक्षण में छात्र, उद्यमी एवं किसानों सहित उत्तर प्रदेश, बिहार एवं राजस्थान के लगभग 94 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सभी प्रतिभागियों द्वारा परिसर में पौधरोपण भी किया गया ।