February 5, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर।  प्रयागराज में शुरू हो रहे महाकुंभ में अंक ज्योतिष गणना के आधार पर कुछ अद्भुत संयोग बन रहे है। ज्योतिषाचार्याें की माने तो 12–12 वर्षों के 12 चरणो यानी 144 वर्ष के बाद जो महाकुंभ होता है, उसे पूर्ण महाकुंभ माना जाता है। वर्ष 2025 में यह अद्भुत संयोग होने जा रहा है। 144 वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने जा रहे इस महाकुंभ में अंक ज्योतिष गणना के आधार पर 9 के अंक का विशेष महत्व रहेगा।
ज्योतिषाचार्य मनोज द्विवेदी के अनुसार महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है, जब देवगुरु बृहस्पति का गोचर वृष राशि में और भगवान सूर्य का गोचर मकर राशि में होता है। संयोग है कि 144 वर्ष बाद आयोजित होने वाले इस महाकुंभ के अंक का योग करने पर 9 आता है, वहीं ब्रह्मांड में विचरण कर रहे 27 नक्षत्रों का योग भी 9 आता है। इसी तरह जपमाला में मनको की संख्या भी 108 है। ज्योतिष गणना में शून्य का कोई महत्व नहीं होता, इस कारण जपमाला के मनकों का योग भी 9 ही आता है।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक 9 का अंक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ऊर्जा का अंक माना गया है। अंक ज्योतिष में 9 के अंक का ग्रह मंगल है, जो कि ऊर्जा का प्रतीक होता है। वहीं 9 देवियां है, नवरात्र भी 9 दिन के होते है। इसके साथ ही 9 ग्रह है, 12 राशियों को 9 से गुणा करने पर 108 आता है, उसे जोड़ने पर 9 का अंक आता है। नवमी को भगवान राम का जन्म भी हुआ था। 9 का अंक ऊर्जा व पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से आमजन के कारक गृह शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में स्थित है, इससे वह सस योग का निर्माण करेंगे। शनि से सस नामक महाराज योग बनता है। महाकुंभ की कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन में अमृत कलश निकला था, तो उसकी रक्षा का दायित्व निभाने वाले गृहों में शनि का भी विशेष महत्व था। इस वर्ष शनि का गोचर पूर्ण महाकुंभ के दौरान कुंभ राशि में होने से आमजन को एक विशेष लाभ मिलेगा।