आ स. संवाददाता
कानपुर। कांग्रेस के लखनऊ में प्रस्तावित प्रदर्शन को लेकर पुलिस-प्रशासन सख्त हो गया है। पार्षद प्रत्याशियों से लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष समेत प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को नजरबंद कर दिया गया है। आलोक मिश्रा, पवन गुप्ता, नौशाद आलम मंसूरी, विकास अवस्थी, संजीव दरियाबादी, विशाल सोनकर समेत तमाम नेताओं को नजरबंद किया गया है।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने बताया कि भाजपा के लोग डर गए हैं। मंदिर-मस्जिद के अलावा कुछ नहीं किया है। लोगों में हिंसा की प्रवृत्ति पैदा की है। लोकतंत्र में अब धरना-प्रदर्शन तक नहीं करने दिया जाएगा। ये सीधे तौर पर लोकतंत्र में दी गई अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट है। संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए कांग्रेस का कार्यकर्ता डरेगा नहीं।
कांग्रेसी नेता विकास अवस्थी को भी नजरबंद किया गया है। विकास ने बताया कि रात से ही पुलिस घर पहुंच गई थी। मेरे पारिवारिक मित्र की मां का देहांत हो गया है। वहां भी पुलिस जाने नहीं दे रही है।
जनसमस्याओं व प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर बुधवार को कांग्रेस की ओर से लखनऊ में विधानसभा घेराव किया जाना है। लखनऊ में होने वाले इस प्रदर्शन को लेकर कानपुर के कांग्रेसियों ने भी तैयारी की है। बड़ी संख्या में लखनऊ कूच करने की प्लानिंग के बीच पुलिस ने कांग्रेसियों पर शिकंजा कसा है।
कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं को लखनऊ नहीं जाने और कानपुर में ही रहने का नोटिस भेजा गया है। कानपुर में रहने की सूचना क्षेत्रीय थाने में भी देने को कहा गया है।
इसको लेकर कांग्रेसियों का गुस्सा उफान पर है। इसे लोकतंत्र की हत्या बताकर हर हाल में लखनऊ जाने का ऐलान किया है। एक हजार से अधिक कांग्रेसियों को नोटिस भेजा गया है।
आलोक मिश्रा, पवन गुप्ता, नौशाद आलम मंसूरी, विकास अवस्थी समेत कई कांग्रेसियों को थानों से नोटिस गया है। इसमें स्पष्ट कहा गया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की ओर से जारी पत्र में 18 दिसंबर को लखनऊ में विधानसभा घेराव की बात कही गई है। यह लखनऊ कमिश्नरेट में धारा 163 का उल्लंघन है।
कांग्रेसियों को जारी नोटिस में कहा गया कि कानून का उल्लंघन कतई नहीं करें। इसलिए कानपुर में ही रहें। कानून की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई होगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि घेराव से पहले ही सरकार इतना घबरा गई कि पुलिस का सहरा ले रही है।