आ स. संवाददाता
कानपुर। इस बार इंफ्लूएंजा वायरस लोगों को काफी तेजी से प्रभावित कर रहा है। ये वायरस ऐसा है कि दवा लेने के बाद यह ठीक तो हो जाता है लेकिन कुछ दिन बाद फिर से अटैक कर देता है। इसके अलावा गले में खरास और दर्द भी लगातार बना रहता है। साथ ही खांसी एक माह तक पीछा नहीं छोड़ रही है।
इंफ्लूएंजा वायरस से होने वाली बीमारी को फ्लू कहते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है, जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इंफ्लूएंजा वायरस के कारण बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, शरीर दर्द, सिर दर्द, ठंड लगना और थकान जैसी स्थिति बनती है।
मेडिकल कालेज के मेडिसीन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि इन दिनों ओपीडी में 20 प्रतिशत मरीज इंफ्लूएंजा वायरस के आ रहे हैं। इस वायरस से होने वाली बीमारी हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है। बहुत खराब मामलों में इससे मौत भी हो सकती है।
डॉ. कुशवाहा ने कहा कि इस वायरस से बचने के लिए इंफ्लूएंजा वैक्सीन आती है। यदि आपके शरीर की शारीरिक क्षमता कम है तो इस वैक्सीन को लगवा सकते हैं। इससे वायरस आप पर बार-बार अटैक नहीं कर पाएगा। इंफ्लूएंजा वायरस से होने वाली बीमारी में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि वायरस का अटैक होने के बाद जो लोग लापरवाही बरत रहे हैं, उनके सामने ज्यादा समस्या आ रही है। ऐसे मरीजों की खांसी ठीक होने में 2 से 3 माह तक का समय लग रहा है। जबकि बुखार की समस्या तो 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है।यह इन्फ्लूएंजा वायरस जब अटैक करता है तो सबसे पहले मरीज को तेज बुखार आता है। इसके बाद पेट में इसका संक्रमण फैलने लगता है। इन दिनों जो भी मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, उनको पेट में दर्द, लूज मोशन, बुखार की समस्या अधिक होती है। पेट में संक्रमण होने के कारण मरीज खाने-पीने में भी असमर्थ हो जाता है। ऐसे में उसकी शारीरिक क्षमता कम होती जाती है और मरीज बहुत कमजोर हो जाता है।