आ स. संवाददाता
कानपुर। सिविल लाइन्स की मेरी ओ मेरिमेन चर्च की एक हजार करोड़ की जमीन कब्जाने के मामले में जेल गए प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित को एक दूसरे हत्या से प्रयास के मामले में उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई है। इस हत्या के प्रयास मामले में हाईकोर्ट ने अवनीश दीक्षित को जमानत दे दी है। लेकिन वो जेल से बाहर नहीं आएंगे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी की है कि आरोपी न्यायिक हिरासत में केवल इसलिए है कि वह चौदह अन्य मामलों में शामिल है, अकेले यह उसे जमानत देने से इनकार करने के लिए पर्याप्त आधार नही है।
हालसी रोड बादशाहीनाका निवासी श्रीकृष्ण गुप्ता ने अवनीश दीक्षित, मनोज यादव, जितेन्द्र यादव और राजा यादव के खिलाफ हत्या के प्रयास में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआऱ के अनुसार अवनीश ने चार सह-आरोपी मनोज यादव, विनोद यादव, जितेन्द्र यादव और राजा यादव उसके घर में किराएदार के रूप में रह रहे थे। चारों उसके ऊपर बम फेंकने की तैयारी में थे और वह अपनी जान बचाने के लिए भाग गया।
इस मामले में बचाव पक्ष ने निचली अदालत और सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की, जो कि खारिज कर दी गई। जिसके बाद हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की गइ थी ।
उच्च न्यायालय में आरोपी बचाव पक्ष के वकील ने अपने तर्क में कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे संकेत मिलता हो कि उक्त बम फटा हो जिससे घटना की पुष्टि होती हो।
इस जमानत अर्जी पर उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि इस मामले में आरोपी को सलाखों के पीछे हिरासत में रखना उचित नहीं है, क्योंकि मुकदमे में काफी समय लगेगा। मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, जमानत आवेदन को स्वीकार किया जाता है और यह आदेश दिया जाता है कि आवेदक अवनीश दीक्षित को उपरोक्त मामले में नियमित जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते कि वह ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए अपेक्षित जमानत बांड प्रस्तुत करे।
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी अवनीश दीक्षित फिलहाल जेल से बाहर नहीं आएगा। क्योंकि उसके खिलाफ चल रहे जमीन कब्जाने के प्रयास और डकैती की धारा में अभी अन्य मुकदमे दर्ज है जिनमे जमानत नहीं हुई है। इसी तरह लेखपाल द्वारा दर्ज कराए गए मामले में भी उसे जमानत नहीं मिल सकी है। इन दोनों ही मामलों में कोतवाली पुलिस अपनी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।