उजाला हो रहा जग में, पटाखे आज चलते हैं,
तिमिर भागे जहाँ से है, धरा पर दीप जलते हैं।
सजे है द्वार रंगोली, भरा उल्लास हर मन में,
जले अब दीप राहों में, करे रोशन तिमिर घन मे।
खिली है ज्योति इक प्यारी, अमंगल दूर हटते हैं,
तिमिर भागे जहाँ से है, धरा पर दीप जलते हैं।
लगे दीपक कतारों में, गगन से चाँदनी झरती,
महकती है पवन देखो, खुशी में झूमती धरती।
सजीली रात में चहके, सुखद संदेश चलते हैं,
तिमिर भागे जहाँ से है, धरा पर दीप जलते हैं।
जहां लक्ष्मी सदन आए, करें धन से विभूषित तब,
रहे ये स्वच्छ धरती जब, नहीं करना प्रदूषित अब।
दिवाली की विभा लेकर, सकल परिवार मिलते हैं,
तिमिर भागे जहाँ से है, धरा पर दीप जलते हैं।
धरा से नभ तलक गूंजे, भजन गीतों भरी बोली,
करें अर्पण लिए पूजा, नहीं खाली रहे झोली।
मिटा के हर कलुष मन का, प्रभा आलोक भरते हैं,
तिमिर भागे जहाँ से है, धरा पर दीप जलते हैं।
– संजीव कुमार भटनागर