संवाददाता।
कानपुर। डॉ. अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर द हैंडीकैप्ड (एआईटीएच) ने विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया एक ‘कृत्रिम हाथ’ सफलतापूर्वक बनाया है। यह अभिनव कृत्रिम हाथ विकलांग व्यक्तियों को अपने दैनिक कार्यों को आसानी और स्वतंत्रता के साथ पूरा करने में सशक्त बनाएगा, जिससे दूसरों की सहायता की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। एआईटीएच में अटल बिहारी बाजपेयी अनुसंधान केंद्र के नेतृत्व में इस परियोजना में युवा दिमागों के उल्लेखनीय प्रयास देखे गए हैं। लैब प्रभारी श्रीनाथ द्विवेदी के मार्गदर्शन में छात्र अमन, धात्री और तृप्ति ने इस उल्लेखनीय हाथ को विकसित करने में सहयोग किया। यह परियोजना आठ महीने पहले शुरू हुई थी और पहले ही दो चरणों का परीक्षण हो चुका है, तीसरा और अंतिम चरण पूरा होने वाला है। परियोजना सहायक पंकज यादव ने कहा कि कृत्रिम हाथ को 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके डिजाइन किया गया है, जो इसे नियमित मानव हाथ के कामकाज के समान बनाता है। परीक्षण के दौरान पाई गई किसी भी कमी को ठीक करने और दूर करने के बाद, कृत्रिम हाथ अगले छह महीनों के भीतर तैयार होने की उम्मीद है, इसे अगले साल बाजार में उपलब्ध कराने की योजना है। उन्नत कृत्रिम हाथ में अब लचीले सेंसर, मांसपेशी सेंसर और एक शक्तिशाली मोटर जैसी विशेषताएं शामिल हैं। यह अत्याधुनिक डिज़ाइन उपयोगकर्ताओं को बारिश के मौसम में भी अपनी कार्यक्षमता से समझौता किए बिना, 500 ग्राम तक वजन वाली वस्तुओं को उठाने सहित कई प्रकार की गतिविधियाँ करने में सक्षम बनाता है, क्योंकि यह जल प्रतिरोधी प्लास्टिक और रबर सामग्री से बना है। रबर सामग्री का उपयोग करके हाथ की पकड़ने की क्षमता को बढ़ाया गया है, जिससे दोपहिया वाहनों के संचालन में आसानी हो रही है। इस कृत्रिम हाथ से, विकलांग व्यक्ति आत्मविश्वास हासिल कर सकेंगे और दूसरों पर न्यूनतम निर्भरता के साथ विभिन्न कार्य करने में सक्षम होंगे।