कानपुर। नामांतरण शुल्क में आवश्यक संसोधन को लेकर नगर निगम सदन की बैठक 7 अक्टूबर को बुलाई गई है। नियम विरूद्ध तरीके से लोगों से नामांतरण शुल्क के रूप में एक फीसदी शुल्क नगर निगम वसूल रहा है । नगर निगम सदन में अब इसको लेकर चर्चा की जाएगी।
अभी तक तैयार एजेंडे में इस विषय के लिए दूसरा और तीसरा एजेंडा रखा गया है। दूसरे एजेंडे में नए प्रस्ताव पर विचार होना है। तीसरा एजेंडा महापौर की अनुमति से अन्य विषय पर चर्चा के लिए आरक्षित रखा गया है। शासन ने भी निर्देश दिया है कि नामांतरण शुल्क को लेकर नागरिकों को राहत दिलाने वाला निर्णय लिया जाए।
सदन में यह भी चर्चा होगी कि वर्ष 2018 में अचानक नामांतरण शुल्क में लगभग 100 गुना तक की वृद्धि के पीछे जो आधार तैयार किया गया था वो बरकरार है भी या नहीं। हकीकत में लखनऊ भी इस शुल्क से पीछे हट चुका है। गाजियाबाद में सिर्फ रजिस्ट्री फीस का एक प्रतिशत वसूला जाता है। वाराणसी और मेरठ भी पहले से ही पीछे हट चुके हैं।
सिर्फ कानपुर नगर निगम में ही डीएम सर्किल रेट के आधार पर बैनामा की गई संपत्ति की कुल कीमत का एक प्रतिशत नामांतरण शुल्क लिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस वसूली के प्रस्ताव पर न तो शासन से मंजूरी ली गई थी। न ही नगर निगम अधिनियम या उप विधि में ही यह नियम था। पहले अधिकतम 2 हजार रुपए ही वसूले जाते थे।
सदन में यह मुद्दा उठाने के लिए पार्षदों ने भी कमर कस ली है। पूर्व पार्षद फोरम के सदस्यों ने बाकायदा अभियान चलाया था। मौजूदा पार्षद बाकायदा इस मुद्दे पर पत्र भेज रहे हैं। उनकी पहली मांग ही यही थी कि नगर निगम सदन का विशेष सदन इस मुद्दे पर बुलाया जाए। दूसरी ओर मौजूदा पार्षदों में सत्ता और विपक्ष दोनों खेमे के पार्षद इस विषय पर सदन में बोलने की तैयारी कर रहे हैं।
सदन में नामांतरण शुल्क के मौजूदा स्वरूप में सुधार हो सकता है या इसे संशोधित किया जा सकता है। यह भी संभव है कि वर्ष 2018 से पहले लगाए जाने वाले शुल्क को ही फिर से सुधारा जाए जो शहरवासियों के लिए राहत भरा था। इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि शुल्क लगाने या न लगाने को लेकर एक कमेटी गठित कर दी जाए जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाए।