भूपेन्द्र सिंह
कानपुर। भारत और बांग्लादेश के बीच खेला जा रहा श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच का तीसरा दिन भी खराब मौसम की बलि चढ़ गया। आयोजकों की लाख कोशिशों के बाद भी मैच ऑफिशयिल्स ने पिच और आउटफील्ड को अनफिट मानते हुए मैच कराने से मना कर दिया। यही नहीं मैदान को समय पर दुरुस्त न कर पाने के लिए पिच क्यूरेटर को लगातार दूसरे दिन भी लताड़ लगायी। मैच रेफरी जेफ क्रो ने रविवार को मैदान वाले और तीसरे अम्पायर्स के साथ लगभग तीन बार पिच का निरीक्षण किया लेकिन वह उसे खेलने लायक नही समझ सके और दो बजे के आसपास मैच को रदद करने का ऐलान कर दिया। मैच रदद करने से पहले तीनों मैच ऑफिशियल्स ने खराब मैदान को समय से दुरुस्त ना कर पर पाने के लिए तीसरे दिन भी स्थानीय पिच क्यूरेटर को लताड लगायी। सुबह जब मैदान से कवर हटाए गए तो दर्शकों को मैच होने की उम्मीद जगी जो दो बजे जारी रही। रविवार को मौसम खुला देखकर दर्शकों ने मैच देखने के लिए स्टेडियम की ओर अपना रुख किया लेकिन मैच न खेले जाने से उनको निराशा का सामना करना पडा। मैदान में दर्शकों का आना दोपहर तक जारी रहा जो मैच रदद की घोषणा होते ही तत्काल वापसी की ओर मुड गया। मैच ऑफिशयिल्स ने अपने निरीक्षण में पाया कि मिड-ऑन और मिड-ऑफ के आसपास का क्षेत्र और मीडिया बॉक्स की ओर से गेंदबाज़ का रन-अप खेलने के लिए बहुत गीला था। गौरतलब है कि यूपीसीए ने मैदान सुखाने के लिए सभी प्रकार के संयत्रों का सही समय और स्था न पर प्रयोग ही नही किया गया जिससे मैदान को सूखने के लिए दो से तीन दिन तक लग गए।
कवर करने का काम किया लेकिन तब तक पिच के साथ ही मैदान पर भी पानी अपनी जगह बना चुका था। यूपीसीए के सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक बीसीसीआई के मुख्य क्यूरेटर आशीष भौमिक भी मैच आफिशियल्सं की फटकार का शिकार स्थानीय स्तर के पिच क्यूरेटर के चलते बन ही गए। बतातें चलें कि विश्व में मानवरूप में आधारित कवर को करने के लिए एक साथ 150 तक लोगों की आवश्यकता होती है जो शायद नही जान पायी कि उन्हे करना ही क्या है। पिच क्यूरेटर ने साल 2015 में ग्रीनपार्क मैदान सुन्दरीकरण के दौरान अपने अधिकारियों को यह साफ तौर बताया था कि बारिश चाहे जितनी भी हो जाए वह मैदान को मात्र 15 मिनट के बाद फिर से खेलने के लायक बना देंगे जिसके चलते उनको ग्रीनपार्क मैदान की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।