कानपुर। देश की सबसे बडी निजी ओपेन शीशमहल क्रिकेट के साथ ही न जाने कितनी प्रतियोगिताओं में कई बार राष्ट्रीय स्तर के धुरंधर बल्लेबाजों को आउट कर अपनी तेज गेंदों का लोहा मनवा चुके एक इन्पे ला क्ट र क्रिकेट के सबसे बडे फार्मेट टेस्ट मैच में डयूटी करते देखे जा सकते हैं। प्रदेश की रणजी ट्राफी टीम का हिस्सा रहे एमपी सिंह को अफसोस केवल इतना है कि वह इतना बडा क्रिकेट खेलकर भी वह उन खिलाडियों के पास नही हैं जहां उनको होना चाहिए। एक विलक्षण प्रतिभा जिनको क्रिकेट जगत में एमपी के नाम से लोग जानते हैं उन्होंने 2000 से क्रिकेट के मैदान में छाप छोड़ी जिसे पुलिस महकमा और क्रिकेट जगत भी नकार नहीं सका। 27 अप्रैल 2006 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में हुई शीशमहल प्रतियोगिता में इस बांए हाथ के तेज गेंदबाज वर्तमान समय में भालीय टीम के ओपनर गौतम गंभीर, जेपी यादव, पोगेंद्र शर्मा व बंगाल के ओपनर स्वप्निलदास अपनी कहर बरपाती गेंदों से शिकार बनाकर विरोधी टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया जिससे पुलिस टीम को क्रिकेट जगत में एक नई ख्याति मिली।वर्तमान में हमीरपुर के क्राइम बान्च में इन्पेो क क्टमर के पद पर तैनात एमपी सिंह मूलरूप से इलाहाबाद के रहने वाले है।1992 में 37 वीं बटालियन पीएसी कानपुर में आरक्षी पद पर भर्ती हुऐ और आज भी क्रिकेट के उतने ही दीवाने हैं। खास बात यह है कि एमपी के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी ने अपने सभी प्रमोशन परीक्षाएं देकर पास किए है जिसमें उनके खेल का कोई योगदान नहीं है।