October 23, 2024

कानपुर।  उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन वर्तमान समय में बीसीसीआई, सुप्रीम कोर्ट, व लोढ़ा समिति और अपने ही बनाए नियमों का उल्लंघन करने में अग्रणी भूमिका निभाते दिखायी दे रहा है। साल 2021 कि बीसीसीआई की वार्षिक आमसभा में शामिल नहीं हो पायी थी जिसके चलते आनन-फानन में कुछ विवादित निर्णय करने पर विवश होना पड रहा है।  यूपीसीए अब इस बार बीसीसीआई की एजीएम में शामिल होने के लिए उन नियमों का उल्लंघन करने में सफल दिखायी दे रहा है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन बोर्ड की वार्षिक आमसभा में शामिल होने के लिए अपने प्रतिनिधि की नियुक्ति करके अपने ही नियमों को चुनौती दे डाली है। संघ द्वारा बनाए गये नियमों में साफ तौर पर यह इंगित है कि सर्वोच्च संस्था एपेक्स कमेटी के सदस्यों का निर्णय या फिर चुनाव और या वार्षिक आमसभा में आपसी सहमति जो सदस्यों द्वारा की गई होगी उसके बाद ही बोर्ड की वार्षिक आमसभा में शामिल होने के लिए प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाएगी। बताते चने की संघ की ना ही अभी तक कोई एपेक्स कमेटी की बैठक आयोजित की जा सकी है और ना ही उसकी वार्षिक कम सभा ही संपन्न हो पाई है। इसके विपरीत संघ के पूर्व सचिव की नियुक्ति बोर्ड की आम सभा में शामिल होने के लिए प्रतिनिधि के रूप में कर दी गई है। जबकि इसमें सदस्यों की आम सहमति तो दूर किसी भी सदस्य को उसका नोटिस तक जारी नहीं किया जा सका है। हालांकि नियमो के अनुसार 30 सितंबर के अन्त तक संघ की एजीएम सम्पन्न हो जानी चाहिए लेकिन संघ के भीतर अभी भी एजीएम के लिए सुगबुगाहट नही सुनायी दे रही है। एजीएम के लिए संघ की ओर से अभी तक किसी भी सदस्य और पदाधिकारियों को किसी प्रकार का नोटिस जारी नही किया गया है। नियमो के अनुसार एजीएम के 21 दिन पूर्व संघ के सदस्यों को नोटिस भेज दिया जाना चाहिए और सदस्य उसका इंतजार कर रहे है। नियमो का उल्लंघन करने की दिशा में देखते हुए कई जिला संघ के सदस्यों ने बीसीसीआई से यूपीसीए को डिबार्ड करने की अपील तक कर डाली गयी है। यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि संघ के भीतर कुछ सही दिशा में चलता नही दिखायी दे रहा है। दो पूर्व सचिवों के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। अन्दरखाने के सूत्र यह भी बतातें हैं कि यहां की एजीएम को इसलिए टाला गया है ताकि संघ के भीतर पनप रहे विरोध के चलते साल 2019 में नियुक्त् किए गए सचिव पर सदस्य अपनी मुहर न लगा दें। जिससे 15 सालों तक एकछत्र राज करने वाले एक और पूर्व सचिव को हाथ मलते रह जाना पडे। यूपीसीए के पदाधिकारी के अनुसार यह साफ तौर पर अपने ही बनाए नियमों का उल्लंघन है प्रभावशाली रुतबे के आगे कई सदस्य अपना विरोध दर्ज करवाने में सफल नही हो पा रहे हैं। जबकि सचिव महोदय का फोन किसी के लिए भी जवाबदेह नही है।

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