कानपुर। नरवल क्षेत्र में आदमखोर जंगली जानवर के हमलावर होने वहां के लगभग बीस गांवों के लोग दहशत में जीवन गुजारने को मजबूर हो गए है। एक हफ्ते से ये जंगली जानवर गांवों के अलग-अलग स्थानों पर देखे जा रहे हैं। जिसके वीडियो ग्रामीण लगातार सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। वहीं वन विभाग की टीम जंगली जानवरों के हमले से बचाने के लिए डेरा डाले हुए है और उनकी खोजबीन में जुटी हुई है लेकिन जंगली जानवरों का कुछ पता नहीं चल सका है।रविवार को भी वन विभाग की टीम जनवरों को पकडने के लिए पूरे दिन प्रयास करती रही लेकिन उसके हाथ खाली ही रहे। ग्रामीणों का कहना है कि यह जंगली जानवर लकड़बग्घा है, तो वहीं कुछ ग्रामीण सियार बता रहे हैं। फिलहाल वन विभाग की टीम को अभी तक जंगली जानवर का कुछ सुराग नहीं मिल सका है। जिसकी वजह से अभी तक जंगली जानवर की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। फिलहाल वन विभाग टीम का रेस्क्यू जारी है। साढ क्षेत्र के चिरली गांव में जंगली जानवर देखे जाने से ग्रामीणों में दहशत है। चिरली गांव सहित, कुंदौली, सचौली, राजेपुर सहित 1-12 गांवों के लोग जंगली जानवर से डरे और सहमे हुए हैं। ग्रामीणों ने जंगली जानवर का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। मंगलवार को नरवल के सेमरुवा और बेहटा सकत में खेतों में काम कर रहे तीन ग्रामीणों पर एक आदमखोर जंगली जानवर ने हमला बोल कर घायल कर दिया था । जिसके बाद वन विभाग की टीम सतर्क हो गई है। वन विभाग की टीम और नरवल पुलिस ने गांवों में पहुंचकर घायलों से बातचीत कर जंगली जानवर की खोजबीन शुरू की। मामले की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम बिधनू क्षेत्र के रेंजर आयुष त्रिपाठी के नेतृत्व में सबसे पहले सेमरुवा गांव पहुंची। टीम ने घायलों से बातचीत करने के बाद ग्रामीणों से जानकारी लेकर खेतों और जंगलों में खोजबीन की। वहीं पाली गांव के पास कई सालों से बंद पड़ा मकान है। जहां जंगली जानवर के पैरों के निशान पाए गए है। ग्रामीणों का कहना है कि यह जंगली जानवर शाम को जंगलों से खेतों की तरफ जाते दिखते हैं। पाली गांव निवासी सचिन सिंह का कहना कि गांव के पास एक चौहान ईंट भट्टा है, जो करीब दस सालों से बंद है। यहां कई भट्टियां बनी हुई है। जिसमें करीब आधा दर्जन से ज्यादा लकड़बग्घा रहते हैं। कई बार खेतों में काम करने वाले किसानों ने लकड़बग्घों को देखा गया है। दो महीने पहले एक लकड़बग्घा का बच्चा ग्रामीणों ने पकड़ लिया था। जिसके बाद उसे जंगल मे छोड़ दिया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि इस भट्टा में करीब एक दर्जन लकड़बग्घा रहते है। वन विभाग टीम का रेस्क्यू जारी है। वहीं, इस बारे में वन विभाग के डिप्टी रेंजर अनिल सिंह तोमर का कहना है कि वन विभाग टीम सतर्क है। टीम द्वारा लगातार खेतों और जंगलों में रेस्क्यू किया जा रहा है। लेकिन जंगली जानवर का कुछ पता नहीं चल सका है।