February 5, 2025

कानपुर। अंग्रेजों के जमाने में निर्मित लगभग 221 साल पुरानी सदर तहसील को अब जाकर जर्जर घोषित किया जा सका है। जर्जर और जंगली पौधे-घास से घिरी बिल्डिंग को नए सिरे से बनाने के निर्णय से गिराऊ सदर तहसील परिसर के कमरों में काम करने वाले नायब तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो व अन्य कर्मचारियों के लिए राहत भरी सांस ली है। अंग्रेजों के जमाने में बनी ये बिल्डिंग 221 वर्ष बाद तोड़कर फिर से बनाने की कवायद जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने शुरू कर दी है। तीन हजार वर्ग मीटर में फैली तहसील को फिर से बनाने के लिए 1.63 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर राजस्व परिषद भेज दिया गया है। 1803 में सदर तहसील में बने कानूनगो और लेखपाल, रिकॉर्ड रूमों की हालत ये है कि बारिश में छत से पानी टपकता है। बारिश में कमरे से बाहर निकलते ही कीचड़ इंतजार करता है। करीब चार से पांच कमरों के दरवाजे दीमक खा गए हैं। दीवारों में सीलन है। कर्मचारी अपनी जान जोखिम डालकर काम करते हैं। शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। जिले में नरवर, घाटमपुर, बिल्हौर और कानपुर सदर तहसील हैं। जिसमें सबसे पुरानी सदर तहसील ही है। हालांकि एसडीएम और तहसीलदार की बिल्डिंग में लगातार मेंटेनेंस होने के कारण कुछ सही दिखती है, लेकिन अंदर से दीवारें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। यही नहीं यहां पर एसडीएम न्यायिक, नायब तहसीलदारों के लिए बैठने के लिए सही कमरे तक नहीं हैं। बाबुओं के कमरे में बैठकर काम करने को मजबूर हैं। जिलाधिकारी विशाख जी ने वर्ष 2023 में नई तहसील बनाने की कवायद शुरू की थी। लेकिन उस समय सिर्फ जर्जर कमरों का ही सर्वे कर उन्हें निष्प्रयोज्य घोषित कर आधा परिसर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने तहसील की दुर्दशा देखने के बाद तहसील का दोबारा सर्वे कराया। जिसमें पूरी बिल्डिंग निष्प्रयोज्य घोषित हुई। अब पूरी तहसील फिर से बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव पास होते ही आगे का कार्य शुरू कराया जाएगा। 10.63 करोड़ रुपए से तीन मंजिला इमारत बनाई जाएगी। जिसमें ग्राउंड फ्लोर से सेकंड फ्लोर तक बनेंगे। इसमें एसडीएम कक्ष, एसडीएम न्यायिक, तहसीलदार, तहसीलदार न्यायिक, नायब तहसील, राजस्व निरीक्षक, संग्रह अमीन, रजिस्ट्रार, कानूनगो, रिकॉर्ड रूम, लेखपाल कक्ष बनेगा। इसके साथ एक 50 से अधिक लोगों की क्षमता वाला सभागार भी बनेगा।

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