कानपुर। इस आधुनिक युग में भी युवाओ को भारतीय सांस्कृति से जोड़ने का काम जेके मंदिर में स्थापित कान्हा कोठी कर रही है। जेके मंदिर ट्रस्ट की ओर से इसकी शुरुआत की गई हैं। वहां पर लोगों को संस्कृति से जुडे रहने के संदेश भी दिये जा रहे है । मंदिर परिसर के पुजारियों की माने तो यहां पर उन चीजों को रखा गया हैं, जिन्हें प्रदान कर देने से दूसरों का ज्ञान में वद्धि होती है।अभी तक ये देखा गया है कि कान्हा के प्रेमी अपने भगवान के लिए जो चीजें मथुरा और वृंदावन से लेने के लिए जाते है, हर वो चीज यहां उपलब्ध करायी गयी है। खास बात तो यह है कि ये सभी चीजें वृंदावन और मथुरा से लाई जा रही हैं। भगवान के वस्त्र, आभूषण, कॉस्मेटिक का सामान, झूले, भगवान के लिए बेड, पगड़ी आदि। गीता, भागवत की पुस्तक के अलावा कान्हा से जुड़ी तमाम कहानियों की किताबें है जो आज कल गिफ्ट के तौर पर लोग ले जा सकते हैं।इसके अलावा मान्यता है कि किसी को यदि भगवान भेंट करे तो ज्यादा शुभ माना जाता है। इसलिए यहां पर कई तरह के लड्डू गोपाल भी है और ये सभी भगवान वृंदावन व मथुरा से लाए गए हैं। इसलिए अपनों को गुलदस्ता देने की वजह इन चीजों को भेंट करें। जेके मंदिर में भगवान को शावर जेल से नहलाया जाता है। इससे मूर्तियों की कभी चमक नहीं जाती है। इस लिए कान्हा कोठी में भी शावर जेल के अलावा, भगवान के लिए पाउडर, तेल, कंघा, शीशा, क्रीम तक उपलब्ध हैं। मंदिर के सेवक नारेंद्र बिष्ट ने बताया कि यहां पर भगवान के वस्त्र 26 रुपए से 580 रुपए तक उपलब्ध हैं। इसमें सबसे आकर्षण है भगवान की नाइट ड्रेस। इसके अलावा उनका डबल बेड ये सभी चीजें बहुत ही किफायती दामों पर दी जा रही हैं, ताकि लोगों की भगवान के प्रति आस्था बढ़े।भगवान के बेड के लिए मच्छरदानी तक उपलब्ध हैं। यहां पर भगवान की पगड़ी मंदिर के लोग ही तैयार करते हैं। इसकी कीमत 15 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की हैं।लड्डू गोपाल सबसे छोटे से लेकर 8 नंबर तक के हैं। यहां पर उनके साज सज्जा का समान तो हैं ही इसके अलावा ये भी बताया जाता है कि किस तरह से भगवान का रखरखाव करना चाहिए।मंदिर में आने वाले लोगों को मिट्टी की मूर्ति के फायदे बताए जाएंगे, ताकि लोग मिट्टी की ही मूर्तियों का प्रयोग करें। इसलिए कान्हा कोठी में इस बार दीपावली में मिट्टी के गणेश लक्ष्मी रखे जाएंगे। ये मूर्तियां बंगाल से लाई जाएंगी, इसके बाद इन्हें मंदिर में सजाया कर भव्य रूप दिया जाएगा।