February 5, 2025

कानपुर। आईआईटी कानपुर इनक्यूबेशन सेन्टर की मदद से बैंगलुरु में जियो थर्मल प्लांट तैयार कर दिया है। देश का पहला जियो थर्मल प्लांट तेलंगाना में लगाया गया है। इस पावर प्लांट को रेनरजाइजर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर हिमांशु गुप्ता ने आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर की तकनीकी सहयोग से तैयार किया है।जिन जगहों पर ठंड अधिक पड़ती है और वहां पर सोलर पैनल जैसी चीज भी काम नहीं आती है। ऐसी जगह पर जियो थर्मल प्लांट किसी वरदान से कम नहीं है। जियोथर्मल प्लांट बिजली बनाने का काम करता है। इसमें खास बात ये है कि इसमें कोयला तेल जैसी चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इससे हमारा वातावरण शुद्ध रहता है और इस बिजली को नेचुरल गर्म पानी से बनाई जाती है। इस प्लांट को उन जगहों पर लगाया जाता है, जहां पर धरती से ही गर्म पानी निकल रहा हो। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक पूरे भारत वर्ष में 385 जगह ऐसी है जहां नेचुरल गर्म पानी मिलता है।फाउंडर हिमांशु गुप्ता ने बताया कि पानी से निकलने वाली हीट एनर्जी को हम हिस्टएक्सचेंजर के माध्यम से उसकी हीट को एकत्र कर लेते हैं, फिर उस हीट से रेफ्रिजरेंट फ्लूड (लिक्विड पदार्थ) के साथ हिट करते हैं। इसके बाद उसे गैस में बदल लेते हैं फिर वह गैस टरबाइन में जाकर एक अल्टरनेटर से कनेक्ट हो जाती है, जैसे-जैसे टरबाइन घूमती है, वैसे-वैसे अल्टरनेटर भी घूमता है और इस प्रक्रिया से इलेक्ट्रिक सिटी का निर्माण होता है।ये स्टार्टअप रेनरजाइजर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड का था, लेकिन इसमें आईआईटी कानपुर इनक्यूबेशन सेंटर की तकनीकी बहुत काम आई है। हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके ही हमने इस प्लांट को तैयार किया है। आईआईटी कानपुर ने ही सरकार के साथ मुझे कनेक्ट भी कराया है। इसके अलावा श्री राम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च ने भी टेक्निकल सहयोग किया है।2021 में सबसे पहले प्रोडक्ट का पहला प्रोटोटाइप प्रोजेक्ट दिल्ली विश्वविद्यालय में रखा गया था जो की 5 किलो वाट का है। इसे 80 डिग्री में आर्टिफिशियल जियोथर्मल रिसोर्स के माध्यम से तैयार किया था। इसका उद्घाटन मिनिस्ट्री आफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी के जॉइंट सेक्रेटरी ललित बोहरा ने किया था। इसके बाद 2023 में तेलंगाना की सरकार की मदद से पायलट प्लांट तैयार किया जो कि 20 किलो वाट का बनाया है। इसमें सफलता मिलने के बाद अब इसे मेगावाट में बदलने का काम चल रहा है।हिमांशु गुप्ता ने बताया कि जिन जगहों पर ठंड अधिक पड़ती है जैसे की लद्दाख, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु आदि जगह पर धूप कम निकलने की वजह से यहां पर सोलर पैनल से बिजली उतनी नहीं बन पाती है। ऐसे में आर्मी के कैंप में भी दिक्कत होती है, लेकिन इस पैनल के लगने के बाद आर्मी के कैंपों तक क्लीन इलेक्ट्रिक सिटी पहुंचाई जा सकती है।अभी तक बिजली को तैयार करने के लिए सरकार को तेल और रेफ्रिजरेंट गैस को बाहर से खरीदना पड़ता था। इसमें लगभग 13 मिलियन डॉलर से भी कहीं अधिक का खर्चा आता था और इससे वातावरण को भी नुकसान पहुंचता था, लेकिन इस प्लांट में इन सब किसी भी चीजों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इससे सरकार का खर्च बचेगा और भारत आत्मनिर्भर की ओर बढ़ेगा।हिमांशु गुप्ता ने 10 साल कनाडा में रहकर एनर्जी इंडस्ट्री में काम किया। 2018 में वह वापस भारत आए और स्टार्टअप के लिए अपनी कंपनी खोली। उस समय से ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया था।भारत सरकार का भी मानना है कि इन सभी 385 जगहों से हम 50 गीगावॉट क्लीन एनर्जी बना सकते हैं।