कानपुर। ट्रैक पर रखे पुराने पटरी के टुकडे के टकराने से कानपुर झांसी रेल मार्ग पर साबरमती ट्रेन हादसे का शिकार हुयी थी। इसका खुलासा रेलवे बोर्ड के सदस्यों की ओर से की गयी प्राइमरी जांच रिपोर्ट में निकलकर सामने आया है। जांच में पाया गया है कि ट्रेन का इंजन 26 साल पुराने पटरी के टुकड़े से टकराया था। यह टुकड़ा ट्रैक पर कैसे पहुंचा? अब इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है। हादसा 16 अगस्त की देर रात 2.35 बजे कानपुर शहर से 11 किमी दूर भीमसेन और गोविंदपुरी स्टेशन के बीच गुजैनी बाइपास के पास हुआ था। साबरमती एक्सप्रेस (19168) के 22 डिब्बे डिरेल हो गए थे। ट्रेन वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। गनीमत रही कि हादसे में किसी की जान नहीं गई। कुछ यात्रियों को मामूली चोट लगी थी। हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था- ट्रेन का इंजन पटरी पर रखी किसी भारी चीज से टकराया। इंजन पर टकराने के निशान हैं। सबूत सुरक्षित रखे गए हैं। आईबी और पुलिस जांच कर रही है। नॉर्दर्न-सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक उपेंद्र चंद्र जोशी ने कहा था- यह तय है कि हादसा इंजन के किसी चीज से टकराने से हुआ। मौके पर कोई चीज नहीं मिली। प्राइमरी जांच रिपोर्ट में बताया गया कि जो टुकड़ा ट्रेन से टकराया है, वह 26 साल पुराना है। 1998 तक इसका इस्तेमाल होता था, अब ट्रैक में नए परिवर्तन हुए हैं। इसका इस्तेमाल अब नहीं होता है। इसे 90-R रेल कहते हैं। इसी टुकड़े से टकराने से इंजन का कैटल केचर टूट गया। सूत्रों के मुताबिक- रेलवे की जांच में नए फैक्ट यह निकले हैं कि लोहे के टुकड़े से टकराने के बाद जोरदार आवाज हुई। इसके बाद पटरी तिरछी हो गई। इसके चलते ही डिब्बे डिरेल होते चले गए। ऐसी आशंका जाहिर की गई है कि पनकी एरिया में ट्रेन पलटाने की साजिश रची गई होगी। घटना के पीछे साजिश की आशंका पर सुरक्षा एजेंसी एटीएस, क्राइम ब्रांच, आईबी, एनआईए भी पड़ताल कर रहीं हैं। रेलवे की ओर से एस ए जी की 5 सदस्यीय टीम भी इन्वेस्टिगेशन कर रही है। इसी टीम की रिपोर्ट से नई जानकारियां सामने आई हैं।