November 21, 2024

1500 से ज्यादा फाइलें बाबुओं के पास लटकीं।

कानपुर। नगर निगम में बाबुओं का भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि कर्मचारी ही कर्मचारी से रिश्वत मांग रहे हैं। विभाग के सेवा निवृत्त कर्मचारियों को मिलने वाले एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) के नाम पर नगर निगम कर्मचारी 30 से 50 हजार रुपए तक रिश्वत मांग रहे हैं। न देने पर उन कर्मचारियों की फाइलें वर्षों से लंबित हैं।
1500 से ज्यादा कर्मचारी हैं जो नगर निगम से रिटायर हो गए हैं और एसीपी के लिए बाबुओं के चक्कर काट रहे हैं। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में शासन ने एसीपी के मामले निस्तारित करने के लिए 94 करोड़ रुपए जारी किए थे। बावजूद इसके अभी तक मामले निस्तारित नहीं किए गए हैं। एसीपी के कारण कमियों को मिलने वाले एरियर पर ही भ्रष्टाचारियों का निशाना है। सारा खेल इसी एरियर का है। विजिलेंस के छापे में रिश्वत लेते धरे गए बाबू राजेश यादव का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी उस पर न सिर्फ आरोप लगे बल्कि दो बार इधर से उधर भी किया जा चुका। ऐसे बाबू एक नहीं, कई हैं जिन्होंने एसीपी लगाने और भुगतान करने के एवज में फाइलें वर्षों से लटकाई हुईं हैं। कई कर्मचारी इसी आस में रिटायर हो गए तो कई दिवंगत हो चुके। मगर, एसीपी की फाइल नहीं हिली। नगर निगम में एसीपी के जरिए ग्रेड-पे लगाने के नाम पर खूब घालमेल हुआ। हकीकत यह है कि एसीपी के चक्कर में 1,500 से ज्यादा लोग अफसरों से बाबुओं तक दौड़ लगा रहे हैं। लंबित मामलों में 300 से ज्यादा ऐसे हैं जिनकी मौत हो गई। अब उनके बच्चे गुहार लगाते-लगाते थक चुके। इसी वर्ष 18 जून को महापौर प्रमिला पांडेय ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा था। इसमें बताया था कि उद्यान विभाग में कार्यरत मंगली प्रसाद की पत्नी प्रमिला उनके पास आईं। बताया कि पति की सर्विस बुक एवं व्यक्तिगत पत्रावली राजेश यादव लिपिक द्वारा अपने पास रख ली गई है। आरोप लगाया कि एसीपी भुगतान के लिए 25 हजार रुपए उसने ले लिए। भुगतान के लिए और धनराशि मांग रहा है। जांच होने तक राजेश कुमार को नागरिक सहायता कक्ष में तैनात करें। तत्कालीन नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने उसे सीट से हटा दिया था। नगर निगम कर्मचारी संघ के महामंत्री रमाकांत मिश्रा ने बताया कि एसीपी (प्रोन्नत वेतनमान) के बाद, कर्मचारी का पदनाम, श्रेणी या स्थिति नहीं बदलती। हालांकि, मूल वेतन के आधार पर, वित्तीय और सेवा-निवृत्तिक लाभ तय किए जाते हैं। कर्मचारी को वेतन निर्धारण संलग्नक-2 के मुताबिक वेतन दिया जाता है। इसके बाद, अगर कर्मचारी को उसी ग्रेड वेतन में नियमित पदोन्नति मिलती है, तो वेतन निर्धारण नहीं होता। पदोन्नति के बाद, कर्मचारी को अगली ग्रेड पे पर वेतन वृद्धि देकर पे फिक्स कर दिया जाता है। एसीपी तीन बार होती है। 10 साल, 16 साल और 26 साल की नौकरी पर। सरकार ने व्यवस्था दी है कि अगर एसीपी न हो पाए तो प्रोन्नत वेतनमान दे दिया जाए। जिसकी एसीपी तीनों बार की बाकी है उसका ग्रेड पे के साथ एरियर ही लाखों में पहुंच जाता है। इसी पर सबकी नजर रहती है। नगर निगम में करीब 1500 से ज्यादा रिटायर हो चुके कर्मचारियों का एसीपी का लाभ अभी नहीं मिल सका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *