November 22, 2024
कानपुर। कोलकाता काण्ड के बाद चल रही डाक्टरों की हडताल का  असर मरीजों पर बुरी तरह से पडता दिखायी  दे रहा है। हडताल का  असर अब कैंसर अस्पताल में भर्ती होने  वाले मरीजों पर पड गया है हडताल के चलते राजकीय जेके कैंसर संस्थान में डॉक्टरों ने ओपीडी पूरी तरह से ठप कर दी है। विरोध जता रहे डॉक्टर एक भी मरीज नहीं देख रहे हैं। बुधवार को इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भी नहीं देखा गया। इसके चलते एक मरीज की मौत भी हो गई।एक बेटी अपने बुजुर्ग पिता को लेकर राजकीय जेके कैंसर संस्थान की इमरजेंसी लेकर पहुंची थी। डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। उनका इलाज तक नहीं किया। दूरदराज से आने वाले मरीज भी यहां पर परेशान होकर इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।इस पर कोई भी जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है। अस्पताल के बाहर मरीज चबूतरे पर पड़े तड़प रहे हैं। कई मरीज कार के अंदर तड़पते हुए आ रहे हैं।गोपाल नगर निवासी 72 वर्षीय अशोक कुमार गुप्ता के गॉल ब्लैडर के पास एक गांठ थी। जिसे डॉक्टर ने कैंसर अस्पताल में उपचार कराने की सलाह दी थी। उनकी हालत काफी सीरियस थी। दामाद निर्णय अग्रवाल अपने ससुर को लेकर जेके कैंसर अस्पताल पहुंचे।यहां पर गेट पर ही डॉक्टर ने उन्हें रोक दिया, जबकि अस्पताल के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद अंदर ही बैठे थे। इसके बावजूद भी डॉक्टर ने निर्णय से कहा कि यहां पर कोई भी डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं। सभी की हड़ताल चल रही है। किसी को भी भर्ती नहीं किया जा रहा है। मामला निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद तक पहुंचा, लेकिन वह मरीज को देखने के लिए उठकर बाहर तक नहीं आए।दामाद निर्णय ने ससुर की बीमारी का हवाला देते हुए डॉक्टर से काफी गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। मजबूरी में निर्णय को अपने ससुर को लेकर वापस घर जाना पड़ा। निर्णय ने बताया कि मंगलवार को वह सबसे पहले हैलट अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। वहां पर डॉक्टरों ने मरीज को देखा और देखने के बाद कैंसर की आशंका जताते हुए जेके कैंसर संस्थान के लिए रेफर कर दिया था, लेकिन यहां आने पर डॉक्टर ने तो हाथ भी नहीं लगाया।निर्णय ने बताया कि जब मरीज को लेकर जेके कैंसर संस्थान पहुंचे तो डॉक्टरों ने बिना देखे ही कह दिया कि पहले जाओ इनकी पीलिया का इलाज कराओ। इसके बाद जब हड़ताल खत्म हो जाए तो वापस लेकर आना। लेकिन काफी इधर-उधर भटकने के बाद भी कहीं इलाज नहीं मिला, तो ससुर को लेकर घर चला गया। मंगलवार रात घर ही उन्होंने तड़तड़ पर दम तोड़ दिया। वहीं, निदेशक से जब इमरजेंसी में मरीज भर्ती न किए जाने की बात पूछी तो उन्होंने इस मामले दो टूक जवाब दिया ‘अभी दिखवाते हैं।’