-कॉशन रखकर निकाली गयी सवारी गाडिया
कानपुर। शु्क्रवार और शनिवार की दरमियानी रात गोविन्दपुरी से कुछ दूरी पर हुए रेल हादसे के बाद रेलवे के कर्मचारियों ने कानपुर-झांसी के अवरुद्ध मार्ग को खोलने में सफलता पा ली। रेलवे के कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम रविवार को ट्रैक के बहाली की सफलता के साथ हुआ। कर्मचारियों ने साबरमती एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से खराब हो चुके ट्रैक की मरम्मत करके बहाल कर दिया गया है। रविवार सुबह पहली मालगाड़ी को पास कराया गया है। वहीं रेल प्रशासन इस रूट में चलने वाली सभी गाडियों को अभी कॉशन लेकर पास कराने के लिए प्रयास कर रहा है। इस दौरान उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबन्धक उपेंद्र चंद्र जोशी समेत झांसी और प्रयागराज मंडल के कई अधिकारी मौजूद रहे। जीएम के मुताबिक ट्रैक की मरम्मत का काम बारिश के बावजूद पूरी रात किया गया है। बाधित रूट के खुलने के बाद पहले एक मालगाड़ी को पास किया गया है। वहीं, अभी कॉशन लेकर (स्पीड 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से ट्रेनें गुजारी जा रही है और सोमवार की सुबह तक इसी गति से गुजारी जाएंगी। वहीं इस घटना के पीछे रेलवे साबरमती एक्सप्रेस हादसे के पीछे बड़ी साजिश बता रहा है। जिस पॉइंट पर यह हादसा हुआ, उससे 48 किमी. दूर 8 साल पहले पटना एक्सप्रेस भी पटरी से उतर चुकी है। तब हादसे में 152 यात्रियों की मौत हुई थी।शुक्रवार रात घटना से 45 मिनट पहले पटना एक्सप्रेस इस ट्रैक से गुजरी। इसके बाद रात में 2.32 बजे साबरमती एक्सप्रेस (19168) पटरी से उतर गई। 22 डिब्बे डिरेल हुए। इंटेलिजेंस जांच कर रही है कहीं इस बार भी पटना एक्सप्रेस तो टारगेट पर नहीं थी। क्योंकि पैटर्न एक जैसा माना जा रहा है। 8 साल पहले पटना एक्सप्रेस हादसे को आईएसआई ने अंजाम दिया था। तब इस मामले में ए टी एस ने आई एस आई एजेंट शम्सुल हुदा को नेपाल पुलिस के सहयोग से काठमांडू एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। हादसे को अंजाम देने के लिए आई एस आई के इशारे पर शम्सुल ने फंडिंग की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने इस हादसे की जांच की थी।इस बार हुए हादसे में भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साजिश की आशंका जताते हुए एक्स पर लिखा – ‘साबरमती एक्सप्रेस (वाराणसी से अहमदाबाद) का इंजन आज सुबह करीब 2.35 बजे कानपुर के पास ट्रैक पर रखी किसी वस्तु से टकराकर पटरी से उतर गया। तेज टक्कर के निशान देखे गए हैं।‘ रेल मंत्रालय ने ट्रेन हादसे में साजिश की आशंका जताई है जिसकी जांच आईबी से कराई जा रही है।शुक्रवार रात गोविंदपुरी स्टेशन और भीमसेन स्टेशन के बीच हादसा हुआ। रेलवे के लिहाज से देखें तो ये रूट मध्य प्रदेश, दक्षिण और पश्चिम भारत को जोड़ने वाले प्रमुख रेलवे रूट में से एक है। यहां से गुजरने वाली सभी गाड़ियां पुखरायां व झांसी होकर गुजरती हैं। इस ट्रैक पर रेल हादसा होने से रेलवे कनेक्टिविटी 500 किमी. रेलवे ट्रैक पर प्रभावित होती है।20 नवंबर, 2016 को पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। घटना को रात करीब 3 बजे अंजाम दिया गया था। इस बार भी साबरमती ट्रेन रात करीब 2:32 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुई। यानी कि इस बार भी ट्रेन दुर्घटना रात को ही हुई। अब इसे संयोग या साजिश दोनों ही कहा जा सकता है। 2016 में हुए हादसे के दौरान रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार ने जांच में पाया था कि गाड़ी का इंजन पूरी तरफ सेफ था। जबकि गाड़ी 107 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार पर थी। इस हादसे में भी इंजन पूरी तरह सेफ है। इस बार लोहे के बोल्डर से ट्रेन हादसे का शिकार हुई। पुखरायां रेल हादसे में कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सी आर एस ने जांच में पाया था कि कहीं भी पटरी चटकी या टूटी नहीं पाई गई थी। इस बार भी हुए हादसे में अभी तक पटरी टूटने या चटकने की बात सामने नहीं आई है। जबकि मौके पर लोहे का एक गर्डर जरूर मिला है। इस पर ही टीमें जांच केंद्रित कर रही हैं।पुखरायां हादसे की साजिश का खुलासा एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग से हुआ था। ऐसे में पुलिस और जांच एजेंसियों ने इस बार भी फोन कॉल को खंगालना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक ये भी देखा जा रहा है कि ट्रेन हादसे की जगह से कोई संदिग्ध फोन कॉल किसी दूसरे देश में तो नहीं किया गया।सुरक्षा एजेंसियों को आई एस आई एजेंट शम्सुल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मिली थी। जिसमें उसने कहा था कि कानपुर में देखो सिर्फ नट-बोल्ट निकाल कर ही हादसा हो गया। बता दें कि इस बार भी ट्रैक पर जगह-जगह क्लिप उखड़े मिले हैं। हादसे के बाद ये क्लिप ट्रैक के आसपास पड़े मिले। अब इन्हें पहले निकाला गया या हादसे में उखड़े ये जांच का विषय है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, साबरमती ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले करीब 1.30 बजे पटना-इंदौर एक्सप्रेस 100 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरी। सवाल खड़ा होता है कि अगर ट्रैक पर बोल्डर पहले से रखा था, तो पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त क्यों नहीं हुई? जांच टीम ने अंदेशा जताया है कि पटना एक्सप्रेस गुजरने के बाद ही बोल्डर ट्रैक पर रखा गया और साबरमती ट्रेन साजिशन दुर्घटनाग्रस्त की गई। रेलवे इनसीआर जीएम ने कहा- साबरमती ट्रेन के सभी कोच एल एच बी थे। इन कोच की खासियत है कि इमरजेंसी ब्रेक लगने पर कोच एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं। इस हादसे में ड्राइवर ने जब इमरजेंसी ब्रेक लिए, उस वक्त ट्रेन की रफ्तार करीब 80 किमी. प्रति घंटा थी। एल एच बी कोच होने की वजह से ट्रेन सिर्फ डिरेल हुई। डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़े। हादसे की जांच के लिए एसएसएजी टीम का गठन किया है। इस टीम में सी आर एम स्तर के अधिकारी शामिल किए गए हैं। टीम 3 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद क्लीयर हो पाएगा कि आखिर ये साजिश थी या रेलवे मेंटेनेंस टीम की लापरवाही के चलते हादसा हुआ। सी आर एम ट्रेन ड्राइवर, गार्ड और ट्रेन में मौजूद टीटीई से भी पूछताछ की जाएगी।रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इस हादसे के बाद 18 ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया। जबकि 40 ट्रेनों को भिंड, इटावा, झांसी व ग्वालियर रूट पर डायवर्ट किया गया। वहीं दिल्ली-हावड़ा और मुंबई-झांसी रूट पर आने वाली करीब 100 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं हैं।