कानपुर। पहाडों पर हो रही लगातार मूसलाधार बारिश और बांधों से आ रहे लाखो क्यूसेक पानी से गंगा नदी का जलस्तर अपने पूरे उफानी वेग से बढता ही जा रहा है। गंगा का जलस्तर अब खतरे के निशान की ओर बढने लगा है हालांकि वह अभी सिर्फ 1 मीटर की दूरी पर ही है लेकिन पानी के फैलने से आसपास के गांव पूरी तरह से घिर गए हैं। नीचे बह रही गंगा का पानी शुक्लागंज, बक्सर और फतेहपुर चौरासी इलाके में 15 किमी. दायरे में फैल चुका है। 3 हजार घरों की कनेक्टिविटी कट चुकी है। 50 हजार लोगों को राशन-दवा और सब्जी नहीं मिल पा रही है। पानी के फैलाव के चलते करीब 8-10 हजार बीघा खेती बर्बाद हो गई। कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गए बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। करीब 1300 घर बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं। 6-7 फीट तक पानी चढ़ा हुआ है। 50 से ज्यादा परिवार घर छोड़कर दूसरी जगहों पर जा चुके हैं। वहीं, 4-5 गांवों में कटान भी शुरू हो चुकी है। मोहम्मदनगर इलाके में सीन कुछ ऐसा था कि हर तरफ पानी ही पानी था। कई नाव चलती हुई दिख रही थीं। इनमें लोग सामान लेकर आते दिखे। घरों के बाहर कमर तक पानी भरा हुआ था। पूरे एरिया में कनेक्टिविटी नाव पर है। कई नाव एक साथ चलाई जा रही हैं। ताकि लोगों को दिक्कत न हो। मो.अतीक बताते है कि 60 दिन से ऐसा ही चल रहा है। कोई कहीं आ जा नहीं सकता। रोड का अंदाजा नहीं। सब डूब चुका है। खुदा खैर करें सिर्फ नाव का सहारा है। अगर ये न हो तो पूरी कनेक्टिविटी कट चुकी है।10 साल पहले मोहम्मदनगर में घर बनाया था। तब नहीं पता था कि यह एरिया डूब क्षेत्र में आता है। बेबी कहती हैं- घरों के आगे भरा हुआ पानी हमें डराता है। अगर नाव नहीं चलाई जाती तो आना-जाना मुश्किल हो जाए। सब्जी-राशन, दवा के लिए तरसना पड़े। इस पानी में सांप-कीड़े सब घर के अंदर तक आ जाते हैं। जब बारिश होती है, तो डर के साये में दिन कटता है। 2 महीने से एरिया की लाइट कटी हुई है। जब ये लगता है कि पानी रात में बढ़ सकता है, तब हम लोग छत पर ही सोते हैं। शिबा ने गुस्से में कहा- हमारे बच्चे 2 महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। जब नाव मिलती है, तभी जा पाते हैं। अभी परीक्षा शुरू होने वाली हैं। पता नहीं वह भी दे पाएंगे या नहीं। रात का अंधेरा होते ही आप डर का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। इस इलाके की बिजली 10 जुलाई से कटी हुई है। हम लोग डर की वजह से छत पर सोते हैं। क्योंकि अगर रात में बाढ़ का पानी चढ़ गया तो क्या होगा? मुन्नी कहती हैं- घर के अंदर 3-4 बार पानी दाखिल हो चुका है। खतरे को देखते हुए परिवार का कोई न कोई सदस्य पहरेदारी करता है। तभी रात में बाकी परिवार सो पाता है। मोहम्मद इसरार कहते हैं- मैं पल्लेदारी करता हूं। जब से बाढ़ आई है, तब से बहुत परेशानी है। खाने-पीने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है। हम लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, अब काम पर नहीं जा पा रहे हैं तो खाना भी नसीब नहीं हो पाता है। आस पड़ोस के लोग खाने-पीने की मदद कर देते हैं, इससे ही गुजारा चल रहा है। शुक्लागंज के हुसैन नगर, गोताखोर मोहल्ला, सैय्यद कंपाउंड, करबला, शाही नगर, मोहम्मद नगर और चंपापुरवा बाढ़ से प्रभावित हैं। नाव चलाने वाले मोहम्मद सैफ ने बताया- करीब 50 से ज्यादा परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं। उनके घरों के बाहर ताले लटके दिखते हैं। ये लोग पानी उतरने के बाद ही लौटेंगे। शुक्लागंज, बक्सर और फतेहपुर चौरासी इलाकों में सब्जी की अच्छी पैदावार होती है। गांव के लोगों के मुताबिक, करीब 8-10 हजार बीघा जमीन में खेती बर्बाद हो चुकी है। इसमें धान और सब्जी की खेती थी। किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। इसको लेकर एसडीएम ने सर्वे के लिए भी कहा है। शुक्लागंज के रविदासपुरम और बहादुर बगिया में गंगा के तेज बहाव की वजह से कटान शुरू हो गई है। यहां रहने वाले लोगों को नदी से दूर रहने की चेतावनी भी दी गई है। प्रशासनिक टीम भी गंगा के जलस्तर की मॉनिटरिंग कर रही है। लेखपाल अशोक सैनी के मुताबिक नाव लगवा दी गई हैं। पानी से घिरे घरों में रहने वालों से अपील भी की गई है। वह स्थिति बिगड़ने पर गोताखोर मोहल्ला स्थित बारात घर या फिर राजधानी रोड स्थित ओमप्रकाश ज्वालादेवी इंटर कालेज में बने शेल्टर होम में ठहर सकते हैं।